Monday, March 25, 2019

Moto G7 और Motorola One भारत में लॉन्च, जानें कीमत और फीचर्स

चीनी स्मार्टफोन मेकर मोटोरोला ने भारत में Moto G7 लॉन्च कर दिया है. इसक साथ ही कंपनी ने Motorola One भी लॉन्च किया है. Moto G7 की कीमत 16,999 रुपये है. इस कीमत पर 4GB रैम के साथ 64GB की इंटर्नल मेमोरी दी जाएगी. Motorola One के 4GB रैम वेरिएंट की कीमत 13,999 रुपये है.

Moto G7 की बिक्री 25 मार्च से रिटेल स्टोर्स और फ्लिपकार्ट पर होगी और यहां यह दो कलर वेरिएंट्स सेरेमिक ब्लैक और क्लियर वॉइट में मिलेगा.

लॉन्च ऑफर के तहत दोनों स्मार्टफोन्स की खरीदारी पर रिलायंस जियो की तरफ से कैशबैक मिलेगा. 198 और 299 रुपये के प्लान के साथ 2200 रुपये का कैशबैक मिलेगा. हालांकि यह कई रिचार्ज कूपन के तौर पर मिलेगा जिससे आप सिर्फ जियो रिचार्ज ही करा सकेंगे.

Moto G7
Moto G7 में 6.2 इंच की मैक्स विज फुल एचडी प्लस डिस्प्ले दी गई है. इस स्मार्टफोन में Qualcomm Snapdragon 632 प्रॉसेसर है और इसमें Android Pie दिया गया है. कंपनी के मुताबकि इसकी बैटरी फास्ट चार्ज होती है और इसके साथ 15W का टर्बो पावर चार्जर भी दिया जाएगा.

फोटॉग्रफी के लिए इस स्मार्टफोन में 12 मेगापिक्सल का डुअल कैमरा दिया गया है. इसमें पोर्ट्रेड मोड, स्पॉट कलर और ऑटो स्माइल कैप्चर जैसे फीचर्स दिए गए हैं. इस स्मार्टफोन में 4GB रैम के साथ 64GB की इंटर्नल मेमोरी दी गई है जिसे माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए बढ़ाया जा सकता है. इस स्मार्टफोन की बैटरी 3,000mAh की है और कनेक्टिविटी के लिए इसमें यूएसबी टाइप सी दिया गया है.

Motorola One
इस स्मार्टफोन में 5.9 इंच की मैक्स विजन डिस्प्ले दी गई है. कंपनी के मुताबिक इस फोन को सिर्फ 20 मिनट चार्ज करके 6 घंटे तक चलाया जा सकता है. यह स्मार्टफोन Qualcomm Snapdragon 625 ऑक्टाकोर प्रॉसेसर पर चलता है. इस स्मार्टफोन में 4GB रैम के साथ 64GB की इंटर्नल स्टोरेज दी गई है जिसे माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए बढ़ाया जा सकता है.

फोटॉग्रफी के लिए इस स्मार्टफोन में 13 मेगापिक्सल का डुअल रियर कैमरा दिया गया है. सेल्फी के लिए इसमें 8 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है. कंपनी ने इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड फीचर्स भी दिए हैं. गूगल लेंस भी इन्बिल्ट है और पोर्ट्रेट मोड का भी ऑप्शन दिया गया है जो दूसरे डुअल कैमरा सेटअप स्मार्टफोन्स में दिए जाते हैं.

स्मार्टफोन की बॉडी कर्व्ड ग्लास है और रियर से भी कर्व्ड है ताकि इसे होल्ड करने में आसानी हो. कनेक्टिविटी के लिए इन दोनों स्मार्टफोन्स में स्टैंडर्ड फीचर्स दिए गए हैं.

Monday, March 18, 2019

आम चुनाव 2019: वोटर लिस्ट से दो करोड़ महिलाओं के 'ग़ायब' होने का रहस्य

भारत में महिलाओं को वोट देने का अधिकार उसी साल मिल गया था, जिस साल भारत देश बना था. एक औपनिवेशिक राष्ट्र रह चुके भारत के लिए ये एक बड़ी कामयाबी थी.

लेकिन इसके 70 साल बाद 2 करोड़ 10 लाख महिलाओं से वोट देने का अधिकार क्यों छिन लिया गया है? भारत के सामने ये एक बड़ा सवाल है.

भारत में महिलाएं बढ़-चढ़कर मतदान करती रही हैं: इस साल होने वाले आम चुनावों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज़्यादा रहने का अनुमान है. अधिकतर महिलाओं का कहना है कि वो अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट डालेंगी और वो इसके लिए अपने पति या परिवार से नहीं पूछेंगी.

महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अलग पोलिंग स्टेशन बनाए जाते हैं और महिला पुलिसकर्मियों को उनकी सुरक्षा में लगाया जाता है. पोलिंग स्टेशनों पर कम से कम एक महिला अधिकारी नियुक्त होती है.

2014 में हुए आम चुनावों में 660 से ज़्यादा महिला उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आज़माई थी. 1951 में हुए पहले चुनावों के मुकाबले ये आंकड़ा कहीं ज़्यादा था, क्योंकि उस वक्त महज़ 24 महिलाएं ही चुनावी मैदान में उतरी थीं.

राजनीतिक पार्टियां भी अब महिला मतदाताओं को ख़ास महत्व देती हैं. वो उन्हें एक अलग इकाई मानती हैं और उनके लिए कई वादे करती हैं जैसे सस्ती रसोई गैस देने का वादा, पढ़ाई में स्कॉलरशिप देने का वादा और कॉलेज जाने के लिए साइकिल देने का वादा.

लेकिन ये एक हैरान कर देने वाली बात है कि भारत में बहुत सी महिलाओं का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है. इन महिलाओं की तादाद इतनी है, जितनी श्रीलंका की पूरी आबादी.

ये दावा एक नई किताब में किया गया है. चुनाव विशेषज्ञ प्रणॉय रॉय और दोराब सोपारीवाला ने ये किताब लिखी है. वो कुछ आंकड़ो का अध्ययन कर इस नतीजे पर पहुंचे. इसका ज़िक्र उन्होंने अपनी आने वाली किताब 'द वर्डिक्ट: डिकोडिंग इंडियाज़ इलेक्शन' में किया है.

उन्होंने देखा कि जनगणना के हिसाब से 18 साल से ज़्यादा उम्र की महिलाओं की संख्या कितनी है. इस संख्या के आधार पर उन्होंने महिलाओं की मौजूदा तादाद का अंदाज़ा लगाया. इसके बाद उन्होंने इस संख्या की तुलना महिला मतदाताओं की ताज़ा लिस्ट से की.

उन्होंने इन दोनों में बड़ा अंतर पाया. उन्होंने पाया कि महिला मतदाताओं की लिस्ट में करीब दो करोड़ 10 लाख महिलाओं का नाम ही नहीं है.

ग़ायब महिला मतदाताओं में ज़्यादातर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की हैं, जबकि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में स्थिति फिर भी बेहतर है.

विश्लेषकों का कहना है कि दो करोड़ से ज़्यादा महिलाओं का नाम वोटर लिस्ट से गायब होने का मतलब है कि भारत के हर निर्वाचन क्षेत्र में औसतन 38 हज़ार महिलाएं वोटर लिस्ट में नहीं हैं.

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे ज़्यादा आबादी वाला राज्य है और इस राज्य का चुनावी जीत में अहम योगदान होता है. लेकिन किताब में लिखे आंकड़ों की माने तो उत्तर प्रदेश की हर सीट में 80 हज़ार महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट में नहीं है.

यहां ये जान लेना भी ज़रूरी है कि पांच में से कम से कम एक सीट पर हार-जीत का अंतर 38 हज़ार वोटों से कम होता है. मतलब ये कि जिन महिलाओं का नाम वोटर लिस्ट से गायब है, वो कई सीटों पर चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं.

महिलाओं का इतनी बड़ी तादाद में लिस्ट से गायब होना ये भी बताता है कि इस साल गर्मियों में होने वाले चुनाव में मतदाताओं की संख्या और ज़्यादा हो सकती थी.

अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में लिंग अनुपात महिलाओं के विपरीत जाता है तो वहां औसत मतदाता, पुरुष हो जाता है. ऐसे में हो सकता है कि वहां कि महिला मतदाताओं को नज़र अंदाज़ किया जाए.

प्रणॉय रॉय ने बीबीसी को बताया, "महिलाएं मतदान करना चाहती हैं, लेकिन उन्हें मतदान करने नहीं दिया जाता है. ये बहुत ही चिंता की बात है. इससे कई बड़े सवाल भी खड़े होते हैं. हम सभी जानते हैं कि इस समस्या के पीछे कुछ सामाजिक कारण भी हैं. लेकिन हम ये भी जानते हैं कि लोगों को मतदान करने से रोककर नतीजों को भी कंट्रोल किया जा सकता है. क्या ये भी एक कारण है? सच का पता लगाने के लिए हमें इसकी और पड़ताल करनी होगी."

लिंग अनुपात को पुरुषों के पक्ष में कर देने से भारत में एक समस्या ये हुई है कि महिलाओं को लंबे समय से वोट करने का अधिकार नहीं मिला है.

पिछले साल सरकार की एक रिपोर्ट में सामने आई थी कि भारत में महिलाएं पहले से 6.3 करोड़ कम हो गई हैं. इसकी वजह है कि बेटे की चाहत में बेटी को गर्भ में ही मार दिया जाता है और बेटों की ज़्यादा अच्छे से देख-रेख की जाती है.

इसके अलावा अर्थशास्त्री शमिका रवि और मुदित कपूर के अनुमान के मुताबिक 6.5 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं कम हो गई हैं. यानी करीब 20 फीसदी महिला मतदाता गायब हैं.

इनमें वो महिलाएं भी हैं जिन्होंने मतदान के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया और वो महिलाएं भी जिन्हें दुनिया में आने ही नहीं दिया गया. उनका कहना है कि ये चुनाव उस आबादी के लिए हो रहे हैं जहां महिलाएं कृत्रिम रूप से कम दिखाई देती हैं.

ऐसा नहीं है कि चुनाव अधिकारियों ने महिलाओं को पोलिंग बूथ तक लाने के लिए कोशिशें नहीं की.

चुनाव आयोग कई तरीकों से कोशिश कर रहा है कि सभी वोटरों को वोट डालने के लिए लाया जाए. इन तरीकों में वो लिंग अनुपात, इलेक्टोर-पॉपुलेशन रेश्यो और मतदाताओं की उम्र को ध्यान रखते हैं.

इसके लिए वो लोगों के घर-घर जाते हैं और इस काम के लिए अक्सर महिला अधिकारियों को भेजा जाता है.

गावों में बाल विकास कर्मचारियों और महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को इस काम में लगाया जाता है.

सरकारी टीवी और रेडियो प्रोग्रामों में महिलाओं को रजिस्टर करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. कई पोलिंग स्टेशन सिर्फ़ महिलाओं के लिए ही बनाए जाते हैं.

तो क्या वजह है कि इतनी सारी महिलाएं मतदान करने नहीं आतीं? क्या एक वजह ये हैं कि कई महिलाएं शादी के बाद अपना पता नहीं बदलती हैं और नए पते के साथ रजिस्टर नहीं करती हैं? (30 से 34 की उम्र की तीन फीसदी से भी कम महिलाएं सिंगल हैं.)

क्या इसकी एक वजह ये भी है कि परिवार वाले वोटर लिस्ट में लगाने के लिए महिलाओं की तस्वीर अधिकारियों को नहीं देते हैं? या इसका कुछ इस बात से भी लेना-देना है कि मतदाताओं को दबाने के लिए ये किया जा रहा है?

डॉक्टर रॉय कहते हैं, "कुछ सामाजिक रुकावटें हैं, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि ये इतनी बड़ी संख्या के वोटर लिस्ट से गायब होने की वजह हो सकता है."

चुनावों का आयोजन करने में मदद करने वालों लोगों का कहना है कि इसमें डरने की कोई बात नहीं है. पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने बीबीसी को कहा कि बीते कुछ वक्त में बहुत सी महिलाओं ने वोटर के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अब भी महिलाओं के सामने कई सामाजिक रुकावटें हैं?

उन्होंने कहा, "मैंने कई ऐसे मां-बाप के बारे में सुना है जो अपनी बेटी का रजिस्ट्रेशन सिर्फ़ इसलिए नहीं कराते कि इससे उनकी बेटी की उम्र का पता चल जाएगा. उन्हें लगता है कि इससे उनकी शादी होने में दिक्कत आ सकती है."

2019 के आम चुनाव होने में एक महीने से भी कम का वक्त बचा है. ऐसे में इस समस्या को सुलझाने के लिए वक्त है ही नहीं.

डॉक्टर रॉय का मानना है कि इसका एक ही तरीका है कि उन महिलाओं को भी वोट करने दिया जाए, जिनका नाम रजिस्टर्ड नहीं है.

वो कहते हैं, "कोई भी महिला जो पोलिंग स्टेशन आती है और वोट डालना चाहती है, अगर वो अपने 18 साल से ज़्यादा होने का सबूत देती है तो उसे वोट देने दिया जाना चाहिए."

Friday, March 15, 2019

दिल्ली पुलिस के एक्शन के खिलाफ चुनाव आयोग के बाहर धरने पर बैठे AAP नेता

दिल्ली की सियासत में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच मचे घमासान ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली पुलिस पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है और इसे लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. यही नहीं, चुनाव आयोग में शिकायत के बावजूद साउथ दिल्ली में दोबारा कॉल सेंटर पर दिल्ली पुलिस की रेड के खिलाफ आप नेता और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज समेत तमाम दूसरे बड़े नेता चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंच गए और उसके बाहर धरना शुरू कर दिया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की है. केजरीवाल ने लिखा, 'सभी MLA और सभी लोग चुनाव आयोग पहुंचें. आज चुनाव आयोग को बताना पड़ेगा कि हमारे ऊपर रेड क्यों करवाई जा रही हैं. हमारा कसूर क्या है?'

दिल्ली से हटाए गए 63 हजार से ज्यादा पोस्टर्स

इससे पहले आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि दिल्ली में लगे पोस्टरों से सिर्फ आम आदमी को ही गायब किया जा रहा है. इस बीच चीफ इलेक्शन ऑफसर ने शुक्रवार को कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद से दिल्ली में 63,449 पोस्टर्स/बैनर्स और होर्डिंग्स हटाए गए हैं. साथ ही 137 एफआईआर एक्साइज एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं. वहीं, आर्म्स एक्ट के तहत 44 मामले दर्ज किए गए हैं.

'भाजपा ने कटवाए थे 24 लाख वोट'

AAP के मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, राघव चड्ढा और अतिशी मरलेना ने चुनाव आयोग में शिकायत की है कि बीजेपी ने जिन 24 लाख वोटों को कटवाया था, उन्हें लिस्ट में शामिल करवाने के लिए उन्होंने कॉल सेंटर से करार किया था. लेकिन बीजेपी के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने न केवल कॉल सेंटर के लोगों को हिरासत में लिया है, बल्कि अवैध तरीके से कॉल सेंटर में काम करने वालों के घर का पता पूछ रही है.

मनीष सिसोदिया ने पुलिस अधिकारी राजीव रंजन, पंकज सिंह और सतीश गोलचा पर दिल्ली पुलिस के इशारे पर कॉल सेंटर कर्मियों को टॉर्चर करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें सस्पेंड करने की मांग की है. उन्होंने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर 24 लाख वोट गलत तरीके से काटे गए. हमने पहले भी इसकी शिकायत चुनाव से की थी.'

'कॉल सेंटर के मालिकों को मिल रही धमकी'

सिसोदिया ने कहा, 'हमने डोर टू डोर कैंपेन करके नंबर इकट्ठा किया है. अब हम कैंपेनिंग कर रहे हैं और उनके वोट बनवा रहे हैं. हमने उनकी मदद की है लोगों ने अपना वोट भी बनवाया है. लेकिन जिस कॉल सेंटर के जरिए हम यह अभियान चला रहे थे. दिल्ली पुलिस भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर उस कॉल सेंटर को रोजाना रेट कर रही है. रोजाना कॉल सेंटर के मालिकों को दफ्तर में बिठाकर परेशान किया जाता है. उन्हें धमकाया जाता है कि अगर आम आदमी पार्टी के लिए काम करना बंद नहीं किया तो तुम्हें ठोक देंगे बर्बाद कर देंगे. रोजाना दिल्ली पुलिस की यह करतूत चल रही है. अब जबकि देश में चुनाव आचार संहिता लग चुकी है सभी पार्टियों को सुगम चुनाव करने का वातावरण देना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है.'

पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग

सिसोदिया ने चुनाव आयोग से शिकायत में कहा है, 'भारतीय जनता पार्टी से प्रभावित पुलिस गुंडों की तरह काम कर रही है. कॉल सेंटर के लोगों को बुलाकर थाने में बिठाया जाता है. दफ्तर में बैठा कर उन्हें रोजाना परेशान किया जा रहा है, प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने शिकायत में दिल्ली पुलिस के सीनियर अधिकारी सतीश गोलचा समेत दो अधिकारी राजीव रंजन और पंकज सिंह को सस्पेंड करने की मांग की है.'

उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि यह तीनों भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर दिल्ली के लोगों को परेशान कर रहे हैं. जिनके वोट कट गए थे और उनके वोट को बनवाने के काम में बाधा डाल रहे हैं. कॉल सेंटर के मालिकों को अवैध तरीके से रोजाना बुला बुला कर बिठाया जाता है और कॉल सेंटर के ऊपर दबाव डाल रहे हैं कि जितने लड़के-लड़कियां यहां काम कर रहे हैं, उनके पते दीजिए जितने लोग काम कर रहे हैं, उनका डाटा दीजिए. यह गलत है इसमें कॉल सेंटर कर्मचारी की क्या गलती है.

'सुपारी किलर की तरह हो रहा बर्ताव'

सिसोदिया ने कहा, 'कॉल सेंटर का आम आदमी पार्टी के साथ एग्रीमेंट है. आम आदमी पार्टी ने उनको हायर किया है. आप आम आदमी पार्टी से बात करो, आप अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से बात करो, संजय सिंह से बात करो, राघव चड्ढा से बात करो. आप हमसे बात नहीं कर रहे और आप कॉल सेंटर के कर्मियों को धमका रहे हो. सुपारी किलर की तरह बर्ताव कर रहे हो. अधिकारियों के खिलाफ तुरंत एक्शन लिया जाए और सस्पेंड किया जाए.' उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग ने शिकायत ले ली है. जितनी 2400000 काटे गए थे उसकी पूरी लिस्ट उन्होंने चुनाव आयोग को दे दी है.य हम इसकी पूरी जांच कराएंगे.

Monday, March 11, 2019

पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड मुद्दसिर ढेर, 21 दिन में सेना ने मार गिराए 18 आतंकी

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी है. रविवार को पुलवामा जिले में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, इसमें तीन आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया. मारे गए आतंकियों में जैश-ए-मोहम्मद का डिस्ट्रिक्ट कमांडर मुद्दसिर खान भी शामिल है. जबकि अन्य दो आतंकियों की पहचान की जा रही है.

आपको बता दें कि पुलवामा हमले में मुद्दसिर का बड़ा हाथ था. पेशे से इलेक्ट्रीशियन मुद्दसिर ने 2017 में जैश-ए-मोहम्मद ज्वाइन किया था. वह आदिल अहमद डार के संपर्क में था और पुलवामा हमले की साजिश में शामिल था. सेना ने बताया कि 21 दिन में 18 आतंकियों को ढेर किया गया है जिनमें 8 पाकिस्तानी आतंकी शामिल हैं.

सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल इलाके के पिंगलिश में घेराबंदी की और तलाशी अभियान शुरू किया था, उन्हें इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. तलाशी अभियान के दौरान उस वक्त मुठभेड़ हो गई जब आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोली चलाई, जिस पर जवाबी कार्रवाई की गई.

आपको बता दें कि पिछले महीने 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही सुरक्षाबलों के निशाने पर घाटी में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हैं. सुरक्षाबल जैश के आतंकियों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतार रहे हैं.

जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने ही पुलवामा में आतंकी हमला किया था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. इसी के बाद से ही सुरक्षाबलों ने घाटी में फैले जैश के आतंकियों को निशाने पर लिया था.

अभी कुछ दिन पहले ही इसी क्षेत्र में हिजबुल मुजाहिद्दीन के 2 आतंकियों को सेना ने मार गिराया था. पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों और राज्य पुलिस ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया था. वहीं, 4 मार्च को त्राल में भी सुरक्षाबलों ने 2 आतंकियों को ढेर कर दिया था, साथ ही आतंकियों के घर को उड़ा दिया.

चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव का बिगुल बजाने के साथ ही जंग की वास्तविक शुरुआत हो चुकी है. चुनाव मैराथन दौड़ के साथ ही एक लंबी बाधा दौड़ भी होते हैं, जिनमें कई अवरोध और ऊंच-नीच आते हैं. इसलिए दौड़ की शुरुआत में ही कोई अनुमान लगाना घातक साबित हो सकता है. फिर भी, मैं आपको 10 ऐसी वजहें बताता हूं जिनसे मुझे ऐसा लगता है कि फिलहाल तो मोदी साफतौर पर सबसे आगे दिख रहे हैं.

आज का चुनाव मनी, मशीन और मीडिया का है और टीम मोदी को इसमें भारी बढ़त हासिल है. भारतीय चुनावों के इतिहास में कभी भी मीडिया की सोच इतनी एकतरफा नहीं रही है. सत्तारूढ़ पार्टी के पास विशाल धनबल है और सभी प्लेफॉर्म पर वोटर्स से जुड़ने की पार्टी की मशीनरी बखूबी समायोजित है.

इस तरह बीजेपी जहां एक चमचमाती, अच्छी तरह से तैयार फरारी जैसी है तो उसकी तुलना में कांग्रेस एक सेकंड हैंड पुराने जमाने की एम्बेसडर जैसी दिख रही है. इसमें कोई अचरज की बात नहीं कि बीजेपी अभी ही अपने प्रतिस्पर्ध‍ियों के मुकाबले कई गुना खर्च कर चुकी है.

अब भी मिस्टर मोदी काफी गैप के साथ नंबर वन नेता हैं. चुनाव अभियान के दौरान मोदी ने अथक ऊर्जा, बेहतरीन संचार कौशल और पार्टी के कद से भी ज्यादा वार करने की क्षमता दिखाई है. 'मोदी है तो मुमकिन है' नारे के साथ बीजेपी और सरकार को शीर्ष एक करिश्माई नेतृत्व मिला है. तारीफों की आवाज चीयरलीडर्स जैसी विशाल सेना की वजह से कई गुना बढ़ जाती है और हाइप बना रहता है. यह 70 के दशक के अमिताभ बच्चन के मूवी जैसा मामला है जिसमें खराब पटकथा भी फिल्म को बंपर ओपनिंग से रोक नहीं सकती थी. पीएम मोदी का विशाल कद बीजेपी को लगातार ऊर्जा दे रहा है. उन्होंने चुनाव घोषणा से पहले ही इतनी रैलियां और आयोजन कर लिए हैं, जितना कि उनके सभी मुख्य प्रतिद्वंद्वी मिलकर नहीं कर पाए हैं.

Tuesday, March 5, 2019

PAK का दावा- हमारे इलाके में घुस रही थी भारतीय पनडुब्बी, जारी किया वीडियो

बॉर्डर पर तनाव के बीच पाकिस्तान की नौसेना ने दावा किया है कि उसने सोमवार को भारतीय पनडुब्बी को अपने जल क्षेत्र में घुसने की कोशिश को नाकाम कर दिया. नौसेना के प्रवक्ता ने दावा किया कि 2016 के बाद यह दूसरी घटना है जब किसी भारतीय पनडुब्बी ने पाकिस्तान के जल क्षेत्र में घुसने की कोशिश की. पाकिस्तान की तरफ यह दावा तब किया गया है जब भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने मंगलवार को समुद्र के रास्ते आतंकी घुसपैठ की आशंका जाहिर की थी.

पाकिस्तानी नौ-सेना के प्रवक्ता ने एक वीडियो जारी कर बताया कि शांति कायम रखने के लिए नौसेना ने भारतीय पनडुब्बी को निशाना नहीं बनाया. इससे पता चलता है कि हम शांति चाहते हैं. इस घटना से सीख लेकर भारत को भी शांति को लेकर अपना झुकाव दिखाना चाहिए. पाक नौसेना द्वारा जारी इस वीडियो में एक पनडुब्बी का ऊपरी हिस्सा दिखाया जा रहा है जिसके भारतीय होने का दावा किया जा रहा है. यह वीडियो 4 फरवरी, रात 8:30 बजे के करीब रिकॉर्ड किया गया है.

प्रवक्ता ने बताया कि भारत की कोशिश को नाकाम कर पाकिस्तानी नौसेना ने साबित किया है कि वो अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है. और किसी भी तरह के आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार है. हालांकि पाकिस्तान के दावे पर भारतीय नौसेना का कोई जवाब नहीं आया है. लेकिन अगर यह दावा सही भी है तो हो सकता है कि भारतीय नौसेना पाकिस्तान को बताना चाह रही हो कि वो करांची से 200 किलोमीटर दूर मुस्तैद है.

इससे पहले भारतीय वायुसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने दावा किया था कि खुफिया रिपोर्ट के अनुसार आतंकी समुद्र के रास्ते भारत में घुसने की फिराक में हैं और बड़ी वारदात के लिए आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.  उन्होंने कहा कि चरमपंथी गुट आतंकी हमले की साजिश रहे हैं, लेकिन उन्हें मदद ऐसे देश से मिल रही है जिसका मकसद भारत को अस्थिर रखना है.

उल्लेखनीय है कि पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई के बाद दोनों देशों में तनाव कायम है. वायुसेना की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की वायुसेना ने भारतीय वायु क्षेत्र में घुसने का प्रयास किया था और कुछ सैन्य कैंप को निशाना बनाने की कोशिश भी की. हालांकि, भारतीय वायुसेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जिसमें पाकिस्तान का एक एफ-16 लड़ाकू विमान मार गिराया गया जबकि भारत का मिग-21 क्षतिग्रस्त हो गया.

14 फरवरी को पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा  में एक विस्फोटक से भरे वाहन से सुरक्षाबलों के काफिले की एक बस को टक्कर मार दी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए. इसके बाद भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के ट्रेनिंग सेंटर पर एयर स्ट्राइक की थी.

भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर जिंदा है. इस बात की पुष्टि पाकिस्तानी मीडिया की एक खबर में अजहर के परिवार के करीबी सूत्रों के हवाले से की गई है. वहीं, पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो उर्दू न्यूज ने भी मसूज अजहर की मौत की खबर को झूठा बताया है.

भारत द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एयर स्ट्राइक करने के बाद यह खबर आई की आतंकी संगठन जैश के मुखिया मसूद की तबीयत खराब हो गई है, जिसे रावलपिंडी के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके बाद रविवार को यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैली कि मसूद की मौत हो गई है, जिसे बाद में पाकिस्तानी मीडिया ने खारिज कर दिया. हालांकि, वास्तविकता को लेकर अभी किसी तरह की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.

पाकिस्तानी न्यूज चैनल ने संसद हमले के मुख्य आरोपी आतंकी मसूद के परिवार के करीबी अज्ञात सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि वह अभी जिंदा है. हालांकि, उसके स्वास्थ्य को लेकर किसी प्रकार की खबर नहीं मिली है. इधर, पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार ने भी अजहर को लेकर चुप्पी साध रखी है. सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने अजहर की मौत के दावों वाली मीडिया रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर कुछ बताने से इनकार कर दिया और कहा, ‘मुझे इस समय कुछ भी मालूम नहीं है.’

इधर, नई दिल्ली में भारतीय खुफिया एजेंसियां आतंकी मसूद अजहर की मौत के बारे में सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही हैं. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इसके अलावा कोई जानकारी नहीं है कि अजहर का सेना के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है और उसके गुर्दे खराब हो चुके हैं.

भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहावलपुर का रहने वाला है, उसने 2000 में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया था. वर्ष 1999 में तत्कालीन एनडीए की सरकार ने हाईजैक किए गए इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी-814 को छुड़ाने के बदलने अजहर को छोड़ दिया था. बता दें कि 50 साल के आतंकी मसूद पर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले की साजिश रचने का, जम्मू कश्मीर विधानसभा पर आत्मघाती हमले और पठानकोट वायु सेना केंद्र तथा पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रचने के भी आरोप हैं.

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था. जिसके बाद सरकार ने पाकिस्तान की जमीन से चलने वाले आतंकी शिविरों को तबाह करने का दावा करते हुए बड़ी सफलता मिलने की बात कही थी.

उधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक इंटरव्यू में कहा कि जैश प्रमुख अजहर पाकिस्तान में है और उसकी सेहत बहुत खराब है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ठोस सबूत पेश करे तो पाक सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. कुरैशी ने कहा था, ‘वह मेरी जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान में है. वह इतना बीमार है कि अपने घर से नहीं निकल सकता.’