Monday, March 11, 2019

पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड मुद्दसिर ढेर, 21 दिन में सेना ने मार गिराए 18 आतंकी

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी है. रविवार को पुलवामा जिले में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, इसमें तीन आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया. मारे गए आतंकियों में जैश-ए-मोहम्मद का डिस्ट्रिक्ट कमांडर मुद्दसिर खान भी शामिल है. जबकि अन्य दो आतंकियों की पहचान की जा रही है.

आपको बता दें कि पुलवामा हमले में मुद्दसिर का बड़ा हाथ था. पेशे से इलेक्ट्रीशियन मुद्दसिर ने 2017 में जैश-ए-मोहम्मद ज्वाइन किया था. वह आदिल अहमद डार के संपर्क में था और पुलवामा हमले की साजिश में शामिल था. सेना ने बताया कि 21 दिन में 18 आतंकियों को ढेर किया गया है जिनमें 8 पाकिस्तानी आतंकी शामिल हैं.

सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल इलाके के पिंगलिश में घेराबंदी की और तलाशी अभियान शुरू किया था, उन्हें इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. तलाशी अभियान के दौरान उस वक्त मुठभेड़ हो गई जब आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोली चलाई, जिस पर जवाबी कार्रवाई की गई.

आपको बता दें कि पिछले महीने 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही सुरक्षाबलों के निशाने पर घाटी में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हैं. सुरक्षाबल जैश के आतंकियों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतार रहे हैं.

जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने ही पुलवामा में आतंकी हमला किया था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. इसी के बाद से ही सुरक्षाबलों ने घाटी में फैले जैश के आतंकियों को निशाने पर लिया था.

अभी कुछ दिन पहले ही इसी क्षेत्र में हिजबुल मुजाहिद्दीन के 2 आतंकियों को सेना ने मार गिराया था. पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों और राज्य पुलिस ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया था. वहीं, 4 मार्च को त्राल में भी सुरक्षाबलों ने 2 आतंकियों को ढेर कर दिया था, साथ ही आतंकियों के घर को उड़ा दिया.

चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव का बिगुल बजाने के साथ ही जंग की वास्तविक शुरुआत हो चुकी है. चुनाव मैराथन दौड़ के साथ ही एक लंबी बाधा दौड़ भी होते हैं, जिनमें कई अवरोध और ऊंच-नीच आते हैं. इसलिए दौड़ की शुरुआत में ही कोई अनुमान लगाना घातक साबित हो सकता है. फिर भी, मैं आपको 10 ऐसी वजहें बताता हूं जिनसे मुझे ऐसा लगता है कि फिलहाल तो मोदी साफतौर पर सबसे आगे दिख रहे हैं.

आज का चुनाव मनी, मशीन और मीडिया का है और टीम मोदी को इसमें भारी बढ़त हासिल है. भारतीय चुनावों के इतिहास में कभी भी मीडिया की सोच इतनी एकतरफा नहीं रही है. सत्तारूढ़ पार्टी के पास विशाल धनबल है और सभी प्लेफॉर्म पर वोटर्स से जुड़ने की पार्टी की मशीनरी बखूबी समायोजित है.

इस तरह बीजेपी जहां एक चमचमाती, अच्छी तरह से तैयार फरारी जैसी है तो उसकी तुलना में कांग्रेस एक सेकंड हैंड पुराने जमाने की एम्बेसडर जैसी दिख रही है. इसमें कोई अचरज की बात नहीं कि बीजेपी अभी ही अपने प्रतिस्पर्ध‍ियों के मुकाबले कई गुना खर्च कर चुकी है.

अब भी मिस्टर मोदी काफी गैप के साथ नंबर वन नेता हैं. चुनाव अभियान के दौरान मोदी ने अथक ऊर्जा, बेहतरीन संचार कौशल और पार्टी के कद से भी ज्यादा वार करने की क्षमता दिखाई है. 'मोदी है तो मुमकिन है' नारे के साथ बीजेपी और सरकार को शीर्ष एक करिश्माई नेतृत्व मिला है. तारीफों की आवाज चीयरलीडर्स जैसी विशाल सेना की वजह से कई गुना बढ़ जाती है और हाइप बना रहता है. यह 70 के दशक के अमिताभ बच्चन के मूवी जैसा मामला है जिसमें खराब पटकथा भी फिल्म को बंपर ओपनिंग से रोक नहीं सकती थी. पीएम मोदी का विशाल कद बीजेपी को लगातार ऊर्जा दे रहा है. उन्होंने चुनाव घोषणा से पहले ही इतनी रैलियां और आयोजन कर लिए हैं, जितना कि उनके सभी मुख्य प्रतिद्वंद्वी मिलकर नहीं कर पाए हैं.

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