Friday, May 24, 2019

名帅里皮重掌国足教鞭 你对“银狐”了解多少?

  2022年,世界杯时隔20年重回亚洲。而里皮的任务,就是竭尽全力率领中国队重现当年韩日世界杯预选赛上的神奇,力争帮助中国队历史第二次进入决赛圈。

  年逾七旬的战术大师,三个月前才刚在沮丧中暂别中国,关于中国足球的一切,里皮了如指掌。如今,短暂分手后的重逢,让双方免去了相互适应的环节。

  眼下的国足,刚刚经历了年初亚洲杯上的出局,新老交替迫在眉睫,世界排名被同洲劲敌伊拉克步步紧逼,新一轮世预赛的大门即将缓缓开启……层层问题裹挟在国足周身,里皮重登帅位的压力,并不比三年前初逢国足时更轻。

  里皮那张坚毅沉静的面孔,我们已经再熟悉不过,但除去与中国队结缘的日子,中国球迷又对里皮其人有多少了解呢?作为世界顶级名帅,他的71载人生,并不只有单一的色彩。

  里皮1948年4月11日出生在意大利维亚雷吉奥,球员时代曾效力于桑普多利队,退役后在该队从事教练工作。作为世界顶级名帅,里皮拥有显赫的执教履历,手握世界杯、欧冠、意甲等冠军奖杯无数,曾带领中超俱乐部广州恒大称霸中超联赛,并夺得一次亚冠冠军。

  尽管里皮的教练生涯已经书写了太多辉煌,但在此之前,他同样在蹉跎中挣扎过。1982年,他从桑普多利亚青年队教练岗位启程,在低级别联赛摸爬滚打多年,并于1989年在意甲切塞纳开启顶级联赛的执教之旅。两年之后,顶着降级主帅的名号,里皮黯然下课,随后辗转路查斯-利伯塔斯、亚特兰大和那不勒斯。

  1994年,里皮接替特拉帕托尼任尤文图斯主教练,接手第一个赛季即夺取已经九年未曾获得的联赛冠军。而在其两度接手尤文教鞭的八年中,共率队夺得5个联赛冠军、3座杯赛冠军奖杯、4次意大利超级杯冠军、1座欧冠冠军,是尤文队史上战功赫赫的功勋教头之一。

  在意甲联赛以俱乐部主帅身份取得成功之后,里皮的执教生涯在2004年迎来拐点,再次顶替特拉帕托尼的位置,不过这一次,他就任的职位变成了意大利国家队主教练

  2006年,里皮稍显单薄的身躯被德国仲夏之夜映衬得格外伟岸,“银狐”率意大利国家队夺得队史第四个世界杯冠军。在最终的决赛中,意大利点球大战击败法国捧杯,赛后里皮被球员高高抛向空中的镜头,将他执教生涯迄今最为辉煌的时刻彻底定格。四年后,里皮重掌意大利队教鞭,遗憾没能帮助防线老化的意大利续写辉煌,止步小组赛。

  2012年5月,中国广州恒大淘宝足球俱乐部聘请里皮为主教练。2013年11月9日,里皮率恒大获得亚冠联赛冠军,同年,“银狐”荣膺2013赛季中超联赛最佳教练。2014年11月,里皮正式担任恒大技术总监,次年2月,里皮从总教练位置卸任。执教恒大3年多时间,“银狐”夺得了3座中超冠军奖杯,一座亚冠冠军奖杯和一座足协杯冠军奖杯。

  2016年10月22日,里皮首度执掌中国男足教鞭,并在两年多任期内帮助球队在世预赛亚洲区12强赛中重见曙光,同时,他还帮助国足在四年一度的亚洲杯上打入8强,里皮的名字,也彻底镶嵌在中国足球的历史上。

  亚洲杯后,对国足出局表现倍感失望的里皮辞别中国。原以为,他会留给中国足球一道停留在记忆中的背影,可短短三个月后,里皮便与中国足协签订新约。老帅回归,国足重新步入里皮时代。

  卡塔尔世界杯预选赛亚洲区40强赛将于今年下半年启程,久经沙场的里皮能为球迷交出一份怎样的答卷,值得期待。(完)

Friday, May 17, 2019

中美贸易战事升级 数据显真相专家论输赢

中美贸易战最近几天可谓战事升级硝烟滚滚,双方都宣布了向对方商品的新征关税措施,数额之大让全球金融市场震荡。

美国总统特朗普一再表示,中国将为关税买单,尽管他的经济顾问库德洛(Larry Kudlow)周日承认,实际上从中国进口的商品是美国公司在交关税。

那么这场贸易战真的像特朗普所说对美国有百利而无一害吗?真的为美国财政带来数以亿计美元的收入吗?

贸易战扩大,到底谁是最大的输家呢?
美国跨国律师行Cooley LLP的律师克里斯托弗·邦迪(Christophy Bondy)认定,向美国政府交关税的是美国的进口商,而不是中国公司。

克里斯托弗·邦迪,曾在加拿大欧盟自由贸易协议谈判过程中担任加拿大政府的高级顾问。他说,美国进口商因交关税而增加的额外成本,很可能用加价的方式直接转嫁到美国消费者身上。

他说:“关税对供应链有很大的破坏作用。”

中美贸易谈判:特朗普突然威胁加征关税 最后阶段的“硬骨头”和不确定因素
中美贸易战: 两国之间高科技较量激战正酣
关税对中国的影响
中国2018年出口上升7%,仍然稳居美国头号贸易伙伴的地位。但是中国对美国的贸易在2018年下滑了9%,显示贸易战的威力已经开始显现。

尽管如此,英国剑桥大学贸易问题专家梅利迪斯·克罗利博士(Meredith Crowley)说,没有任何证据显示,中国公司已经开始减价来吸引美国公司买货。

“(中国)有些经销高补贴产品的出口商已经退出了市场,因为美国公司开始从其他地方进口。这些中国公司的利润空间太小了,关税显然对他们有影响。”

“但我认为,那些有市场优势的(中国)产品并没有减价,可能是因为美国进口商对他们有很大的依赖性。”

关税对美国的影响
根据今年3月的两份研究报告,美国去年向中国和其他国家进口商品征税的全部代价,几乎全部由美国商界和消费者来承担。

纽约联邦储备银行、普里斯顿大学和哥伦比亚大学的经济学家经过计算得出结论说,向钢铁、洗衣机等在内的众多进口商品征收高关税,让美国公司和消费者,在缴税之外每月额外支出30亿美元。

他们的统计结果还指出,受需求不振的影响,另外还有14亿美元的损失。

第二份权威研究报告由多位作者执笔撰写,其中包括世界银行首席经济学家佩妮洛皮∙戈德堡(Pinelopi Goldberg)。该报告发现美国消费者和公司承担了关税成本的绝大部分。

根据这份报告的分析,把其他国家的反制措施考虑在内,那些在美国2016年大选中支持特朗普的地区内的农民和蓝领工人,是贸易战最大的受害者。

美国买其他国家的货品不行吗?
特朗普在中美贸易战中表示,那些原本从中国进口商品的美国公司应该到别的地方进货,譬如越南,或者干脆直接购买美国厂家的商品

但美国跨国律师行Cooley LLP的律师克里斯托弗·邦迪说,这并不像特朗普说的那么简单。

“生产和价值链要重新定位,需要相当长的时间,而且都有代价。”

“例如,美国去年向钢征收高关税,但美国不可能突然之间就能建起数百家新钢厂。另外,中国是一个生产大国,对手们都相形见绌,要在全球供应链中取代中国谈何容易。

增加贸易关税有用吗?
剑桥大学的克罗利博士和美国Cooley LLP的律师克里斯托弗·邦迪都表示,几乎没有什么证据证明增加贸易关税有过任何作用。

来看看以往的例子:

2009年,美国时任总统奥巴马曾对中国生产的汽车轮胎大幅度增加关税35%,称中国轮胎进口数量飙升让美国工人失业。

但是,2012年彼得森国际经济研究所(Peterson Institute for International Economics)的研究发现,2011年,美国消费者因为轮胎价格上涨所承担的代价大约为11亿美元。

这个研究认为,虽然向中国轮胎征收关税使美国制造业得以保住了1200个工作职位,但是美国消费者额外付出了这笔11亿美元的额外开支后,减少了在其他零售商品上的开销,“间接导致了零售业就业率的下降”。

该研究还指出:“更进一步的损失是,中国采取报复行动,对进口的美国鸡肉也征收了反倾销关税,导致美国养鸡行业损失了大约10亿美元的销售额。”

用来证明增加关税有用的一个常用的例子,是美国总统罗纳德·里根1983年决定对日本生产的摩托车大幅度提高进口关税。

此举被认为让困难重重的美国摩托车制造商哈利·戴维森(Harley Davidson)免去了来自国外的激烈竞争,里根总统功不可没。

但有人认为,这跟里根总统增加进口日本摩托车的关税没有关系。哈利·戴维森公司能扭亏为盈得益于本身的努力,其中包括改造工厂生产线,研发性能更优良的发动机。这些才是让该公司走出困境的有效手段。

美国关税能迫使中国达成协议吗?
剑桥大学的克罗利博士说,美国总统特朗普新增的关税可能会让中国重回谈判桌,但是她并不认为中国就会因此作出重大的让步。

“的确,中国经济增长放缓问题比以前多,中国从美国的进口贸易远远超过向美国的出口贸易,所以中国在贸易战中的损失会大些。”

“但是他们并不想改变自己的法律,即便中国真愿意改变法律,中国有司法传统来执行吗?”

美国跨国律师行Cooley LLP的律师克里斯托弗·邦迪认为,特朗普威胁增加关税更多是为了扩大选民基础,制造头条新闻。

“要让人们了解中美谈判中所涉及的原则问题,如国有企业的行为、保护知识产权、公平市场准入和保护工人以及环境等等非常困难,而主打关税就容易多了。

Wednesday, May 8, 2019

स्पाइस 2000 बम का एडवांस वर्जन खरीदने की तैयारी, बालाकोट स्ट्राइक में इस्तेमाल हुए थे

खेल डेस्क. आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर ने अपने छात्रों से प्रश्न पत्र में धोनी से जुड़ा एक सवाल पूछा। प्रश्न पत्र में सवाल था कि चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान एमएस धोनी को मुंबई इंडियंस के खिलाफ आईपीएल के पहले क्वालिफायर मैच में टॉस जीतने के बाद क्या करना चाहिए? अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर प्रश्न पत्र का स्क्रीनशॉट शेयर किया।

डे-नाइट मैच में पिच के व्यवहार को लेकर किया सवाल
आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर विग्नेश मुथुविजयन ने छात्रों से पूछा, "दिन- रात के खेल में ओस की प्रमुख भूमिका होती है। फील्ड में ओस गेंद को गीला कर देती है, जिसकी वजह से स्पिनरों के लिए गीली गेंद को पकड़ना और स्पिन कराना मुश्किल हो जाता है। वहीं तेज गेंदबाजों के लिए सही लेंथ पर गेंद करना भी मुश्किल हो जाता है।"

सवाल इस प्रकार था, "आईपीएल 2019 में 7 मई को चेन्नई सुपरकिंग्स का चेपक स्टेडियम में क्वालिफायर-1 मैच है। सात मई के मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार, चेन्नई में 70% नमी रहने की उम्मीद है। खेल के शुरुआत में तापमान 39°C रहने का अनुमान है। दूसरी पारी के शुरुआत में तापमान 27 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। इस जानकारी के आधार पर अगर एमएस धोनी टॉस जीतते हैं, तो आप पहले बल्लेबाजी करने की सलाह देंगे या फील्डिंग। तथ्य के साथ जवाब दें।"

मंगलवार को खेले गए पहले क्वालिफायर मैच में धोनी ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 4 विकेट पर 131 रन बनाए। मुंबई ने 18.3 ओवर में 4 विकेट पर 132 रन बनाकर जीत हासिल की।

खिताबी मुकाबला 12 मई को हैदराबाद के राजीव गांधी स्टेडियम पर खेला जाएगा। चेन्नई की टीम 10 मई को क्वालिफायर-2 में खेलेगी। उसका मुकाबला 8 मई को होने वाले एलिमिनेटर के विजेता से होगा।

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 1985 से 1994 के बीच कैसिनो और रिएल एस्टेट के बिजनेस में 1.17 अरब डॉलर (8073 करोड़ रुपए) का घाटा हुआ था। घाटे की वजह से ट्रम्प को इन 10 सालों में 8 बार कोई टैक्स भरने की जरूरत भी नहीं पड़ी। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवायटी) ने ट्रम्प के टैक्स रिटर्न्स से जुड़े आधिकारिक दस्तावेजों के आधार पर यह दावा किया है। ये दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। यह रिपोर्ट इसलिए अहम है क्योंकि 2016 में राष्ट्रपति के चुनाव के प्रचार में ट्रम्प ने खुद को कुशल कारोबारी और मोलभाव करने में माहिर बताया था।

ट्रम्प को 2 साल में 50 करोड़ डॉलर का घाटा हुआ था
एनवायटी की रिपोर्ट के मुताबिक 1990 में ट्रम्प को बिजनेस में 25 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ। 1991 में भी इतना ही घाटा हुआ। यह उच्च आय वाले किसी अन्य अमेरिकी इंडिविजुअल के घाटे की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा था।

ऐसा नहीं है कि ट्रम्प को कभी फायदा ही नहीं हुआ हो। ट्रम्प ने 1985 में मैनहट्टन के मोरिट्स होटल को 7.37 करोड़ डॉलर में खरीदा था। 1989 में इसे 18 करोड़ डॉलर में बेचा। लेकिन ट्रम्प का घाटा इतना ज्यादा था कि उस साल भी उन्हें टैक्स नहीं चुकाना पड़ा।

2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने बेटे को कारोबार संभला दिया था। राष्ट्रपति बनने के बाद टैक्स रिटर्न की जानकारी देने से इनकार कर उन्होंने दशकों पुरानी परंपरा भी तोड़ दी। उन्होंने कहा कि जब तक उनके रिटर्न का ऑडिट नहीं हो जाता वो जानकारी नहीं दे सकते। ट्रम्प के टैक्स संबंधी आंकड़ों के जरिए डेमोक्रेट्स इस बात की जांच करना चाहते हैं कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं है क्योंकि ट्रम्प बिजनेस से भी जुड़े हुए हैं।

राज्य के पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से कहा कि घटना में पांच लोगो को नामज़द किया गया है और अभियुक्तों की तलाश के लिए 14 टीमें गठित की गई हैं.

डीजीपी गर्ग ने कहा कि पुलिस ने घटना को गंभीरता से लिया है. पीड़िता की मेडिकल और फॉरेंसिक जांच की जा रही है.

प्रदर्शन में शामिल अलवर ज़िले के दलित कार्यकर्ता चरण सिंह ने बीबीसी को बताया कि घटना 26 अप्रैल की है. पीड़िता अपने पति के साथ मोटरसाइकिल पर जा रही थी. तभी पांच लोगो ने उन्हें घेर कर रोक लिया और सुनसान जगह ले जाकर पति के सामने ही पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया.

Thursday, May 2, 2019

इशरत जहाँ केस: डीजी वंज़ारा और अमीन को कोर्ट ने आरोपमुक्त किया

सीबीआई की विशेष अदालत ने इशरत जहाँ फर्ज़ी मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा और एनके अमीन को आरोपमुक्त कर दिया है.

गुजरात सरकार ने सीआरपीसी की धारा 197 के तहत इनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाने की मंज़ूरी नहीं दी थी. वंज़ारा और अमीन इशरत जहाँ फर्ज़ी मुठभेड़ मामले में अभियुक्त थे.

इसके बाद वंजारा और अमीन ने कोर्ट में उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही खत्म करने की अपील की थी. गुरुवार को विशेष अदालत ने वंज़ारा और अमीन के ख़िलाफ़ आरोप हटा लेने का फ़ैसला सुनाया और दोनों को आरोपमुक्त कर दिया.

इससे पहले, कोर्ट ने मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को पूरी कर ली थी.

सीआरपीसी की धारा 197 के तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार से मंज़ूरी लेना आवश्यक है. इसी मामले में अदालत ने पहले दोनों को आरोपमुक्त करने की याचिका खारिज कर दी थी.

इशरत जहां की माँ शमीमा कौसर ने अपनी याचिका में कहा था कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिये मंज़ूरी की ज़रूरत होती है लेकिन यह इस मामले पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह अपहरण, कैद में रखने और हत्या का मामला है, जो लोक सेवक की आधिकारिक ड्यूटी के दायरे में नहीं आता है.

वंजारा ने कहा, "गुजरात पुलिस के द्वारा जो भी एनकाउंटर्स किए गए आतंकवादियों के...वे विदेशी थे, कई देश में से भी थे, वे राष्ट्रविरोधी थे और देशद्रोही थे. उन लोगों का उद्देश्य गुजरात की क़ानून-व्यवस्था को ख़त्म करने का था. उनका उद्देश्य उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी की हत्या करने का था. गुजरात की पुलिस ने जो भी किया वो क़ानून के अंतर्गत किया, कोई ग़ैरक़ानूनी कार्रवाई नहीं की थी. लेकिन फिर भी कुछ राजनीतिक साजिशें गुजरात पुलिस के ख़िलाफ़ हुईं और हमारे असली एनकाउंटर्स को फ़ेक बताकर झूठे केस किए. इनके तहत हमें आठ-आठ साल जेल में रहना पड़ा."

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा है, "2014 के बाद जो भी केस हैं, उनमें जाँच एजेंसियों पर इस तरह दबाव बना है. मैं तो कहूँगी कि डायरेक्टली दिल्ली से दबाव बना है. ताकि वो तहक़ीक़ात और जो सबूत पहले इकट्ठा हुए थे, वो कोर्ट के सामने न रखे जा सकें."

उन्होंने कहा कि इशरत जहाँ की माँ शमीमा कौसर ने अपने हलमनामे में सारे सबूत पेश किए थे, लेकिन अफ़सोस की बात है कि कोर्ट ने इन्हें नज़रअंदाज़ किया है.

वे पहले क्राइम ब्रांच में थे और बाद में गुजरात एटीएस यानी एंटी टैररिस्ट स्क्वाड के प्रमुख रहे. उसके बाद पाकिस्तान सीमा से सटी बॉर्डर रेंज के आईजी रहे.

वे 2002 से 2005 तक अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस थे. उनकी इस पोस्टिंग के दौरान करीब बीस लोगों का एनकाउंटर हुआ. बाद में सीबीआई जाँच में पता चला कि ये एनकाउंटर फ़र्ज़ी थे. कहा जाता है कि वे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे क़रीबी पुलिस अधिकारी थे.

वंज़ारा को 2007 में गुजरात सीआईडी ने गिरफ़्तार किया था और उसके बाद वे जेल गए. उन पर अभी आठ लोगों की हत्या का आरोप था, जिनमें सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी, तुलसीराम प्रजापति, सादिक़ जमाल, इशरत और उसके साथ मारे गए तीन अन्य लोग शामिल हैं.

इनके एनकाउंटर के बाद क्राइम ब्रांच ने सफ़ाई दी थी कि ये सभी पाकिस्तानी आतंकी थे और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जान लेना चाहते थे. बाद में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई जाँच हुई, तो साबित हुआ कि ये सभी एनकाउंटर फ़र्ज़ी थे.

सितंबर 2014 में मुंबई की एक अदालत ने वंज़ारा को सोहराबुद्दीन, तुलसीराम प्रजापति के फर्ज़ी मुठभेड़ मामले में ज़मानत दे दी थी.

साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने जब सोहराबुद्दीन केस को ट्रायल के लिए गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित किया, तब से वंज़ारा मुंबई जेल में थे. माना जाता है कि मुंबई जेल में रहने के कारण वंज़ारा काफ़ी निराश हो गए थे और इसी कारण उन्होंने सितंबर 2013 में इस्तीफ़ा दे दिया था.

डीजी वंज़ारा से पहले भी गुजरात के कई अन्य पुलिस अफ़सरों ने इस्तीफ़ा दिया था. सबसे पहले आईपीएस अधिकारी रहे संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया था.