Friday, April 19, 2019

प्रियंका चतुर्वेदी कांग्रेस का दामन छोड़ शिव सेना में शामिल हुईं

"बीजेपी-शिव सेना का फ़ेवरिट गाना- खुल्लम खुल्ला करप्शन करें हम दोनों, दुनिया से नहीं डरें हम दोनों."

"जब मोदीजी ने कहा न खाऊँगा, न खाने दूँगा, सत्ता में उनकी सहयोगी शिव सेना ने सुना- तुम मुझे फ़ेवर्स दो, मैं तुम्हें क्लीयरेंस दूँगा."

कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर शिव सेना का दामन थामने वाली प्रियंका चतुर्वेदी ने ये ट्वीट तकरीबन तीन साल पहले 24 अप्रैल 2016 को किया था. तब उन्हें अंदाज़ा भी नहीं होगा कि जिस पार्टी के लिए वो ये पैरोडी ट्विटर पर लिख रही हैं, एक दिन उन्हें उस पार्टी को ही गले लगाना होगा.

कहते हैं राजनीति में कोई दुश्मन स्थाई नहीं होता. सियासी हालात कब-क्या करवट ले लें, इसके बारे में पक्के तौर पर तो छोड़िए, अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है.

प्रियंका ने शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में शिव सेना ज्वाइन की. उन्होंने कहा कि वो मुंबई के लिए काम करना चाहती हैं और यही वजह है कि वह शिव सेना में शामिल हो रही हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि उनके पुराने बयानों और ट्वीट को निकाला जाएगा, लेकिन उन्होंने सोच समझकर शिव सेना में शामिल होने का फ़ैसला किया है.

इससे पहले, प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस के प्रवक्ता सहित पार्टी के सभी पदों से त्याग पत्र दे दिया. प्रियंका ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस पार्टी में अपना ख़ून-पसीना देने वाले लोगों की जगह बदमाशों को प्राथमिकता देने पर उन्हें गहरा दुख हुआ है.

इसके बाद उन्होंने लिखा था कि वह पार्टी के लिए गाली-पत्थर सबका सामना करती हैं, लेकिन पार्टी के अंदर उन्हें धमकाने वालों को मामूली सज़ा भी न होना दुर्भाग्यपूर्ण है.

प्रियंका चतुर्वेदी ने एक पत्रकार के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए यह बात कही है. दरअसल, उस पत्रकार ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के एक नोटिस को ट्वीट किया था.

इस नोटिस में कहा गया था कि मथुरा में कथित तौर पर प्रियंका चतुर्वेदी के साथ दुर्व्यवहार करने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की अनुशासनात्मक कार्यवाही को निरस्त किया जाता है.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की ओर से जारी किए गए नोटिस में लिखा है कि बीते दिनों मथुरा में कांग्रेस कमिटी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी की रफ़ाल सौदे पर प्रेस कॉन्फ़्रेस के दौरान मथुरा ज़िलाध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत आठ लोगों ने अमर्यादित व्यवहार किया था. इसके बाद उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी.

नोटिस में लिखा गया है कि इस पर इन लोगों ने माफ़ी मांग ली जिसके बाद कांग्रेस महासचिव और पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई को निरस्त कर दिया गया है.

बीबीसी से बातचीत में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष आर.पी. त्रिपाठी ने कहा कि दुर्व्यवहार करने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने माफ़ी मांग ली थी जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई को निरस्त कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि अगर कोई माफ़ी मांगता है तो उसे माफ़ भी कर दिया जाना चाहिए और इस मसले को ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए.

बीते साल सितंबर में प्रियंका चतुर्वेदी मथुरा गई थीं जहां उन्होंने रफ़ाल सौदे पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस की. प्रियंका मूलतः मथुरा से ही हैं.

उन्होंने इस दौरान स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत शीर्ष नेतृत्व से की जिसके बाद ज़िलाध्यक्ष अशोक सिंह चकलेश्वर और महासचिव उमेश पंडित समेत आठ लोगों को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था.

पार्टी ने अब इन कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई को निरस्त कर दिया है इस पर उमेश पंडित का कहना है कि उन्हें कभी अपने ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई के बारे में मालूम ही नहीं था, वह तो तब भी कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं.

उमेश पंडित ने सितंबर में हुई घटना पर बीबीसी से कहा, "जब इस घटना के होने की बात कही जा रही है उस समय मैं अपने पिता के पास अस्पताल में था लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसा कुछ हुआ भी नहीं था. अगर ऐसे हुआ था तो उन्होंने पुलिस को शिकायत क्यों नहीं की. यह सब पूर्व विधायक प्रदीप माथुर के साथ उनकी बातचीत के बाद हुआ था क्योंकि वह हमसे बात ही नहीं करती थीं."

प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने ट्वीट में कहा है कि ख़ून-पसीना देने वाले उन जैसे कार्यकर्ताओं की जगह बदमाशों को तरजीह दी जा रही है, इस पर उमेश पंडित कहते हैं, "हमें गुंडा कैसे कह सकती हैं वो. हम वो लोग हैं जिनके घर में आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना हुई थी. हम 27 साल से कांग्रेस में हैं और कांग्रेस में रहेंगे. ज़िलाध्यक्ष अशोक चकलेश्वर तीन बार के सांसद रहे चकलेश्वर सिंह के पुत्र हैं. उन्होंने मथुरा में रिफ़ाइनरी लगवाई और इंदिरा गांधी जब भी मथुरा आती थीं उनके यहां रुकती थीं. तो वह कैसे हमें बदमाश कह सकती हैं."

कांग्रेस कवर करने वाले पत्रकारों का कहना है कि प्रियंका चतुर्वेदी मथुरा से आती हैं लेकिन उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि महाराष्ट्र से जुड़ी हुई है और वह मुंबई उत्तर-पश्चिम से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखती थीं. हालांकि कांग्रेस ने वहां से इस बार संजय निरुपम को उम्मीदवार बनाया है.

मुंबई उत्तर-पश्चिम से पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष गुरुदास कामत सांसद रहे हैं और प्रियंका चतुर्वेदी पहले कामत की टीम में भी काम कर चुकी हैं.

पत्रकारों का यह भी मानना है कि मुंबई उत्तर-पश्चिम से सीट फ़ाइनल होने के बाद प्रियंका मथुरा से चुनाव लड़ने की इच्छा रखती थीं लेकिन वहां से कांग्रेस ने महेश पाठक को उम्मीदवार बना दिया.

विश्लेषकों का कहना है कि प्रियंका इन सबसे अधिक तब ख़फ़ा हुईं जब उनसे कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई को वापस ले लिया.

उमेश पंडित कहते हैं कि प्रियंका मथुरा से चुनाव लड़ना चाहती थीं इसी कारण वह ग़ुस्से में हैं और ऐसे समय में जब 18 अप्रैल को मथुरा में वोटिंग है तब उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था.

Monday, April 15, 2019

आईपीएल-12: जडेजा के तीन चौकों ने कैसे मैच का पासा पलटा

रविवार को आईपीएल-12 में दो मुक़ाबले खेले गए जहां पहले मैच में चेन्नई सुपर किंग्स ने कोलकाता नाइट राइडर्स को पांच विकेट से हराया.

वहीं, दूसरे मैच में दिल्ली कैपिटल्स ने सनराइज़र्स हैदराबाद को उसी के घर में 39 रन से बड़ी हार का स्वाद चखाया.

सबसे पहले बात दूसरे मैच की.

इस मुक़ाबले में सनराइज़र्स हैदराबाद के सामने जीत के लिए 156 रनों का लक्ष्य था लेकिन दिल्ली के गेंदबाज़ों के सामने उसकी पूरी टीम 18.5 ओवर में ही महज़ 116 रन पर ढेर हो गई.

मैच में हैदराबाद के बल्लेबाज़ों का यह हाल था कि सलामी जोड़ी डेविड वार्नर और जॉनी बेयरस्टो ही कुछ जमकर खेल सके. इन दोनों ने पहले विकेट के लिए 72 रन भी जोडे़. वार्नर ने 51 और बेयरस्टो ने 41 रन बनाए.

इनके अलावा बाकी कोई भी बल्लेबाज़ दिल्ली के तेज़ गेंदबाज़ कैगिसो रबाडा, कीमो पॉल और क्रिस मोरिस की तिकड़ी का सामना नहीं कर सका. यहां तक कि हैदराबाद के बाकी बल्लेबाज़ दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंचे.

कैगिसो रबाडा ने 22 रन देकर चार, क्रिस मोरिस ने 22 रन देकर तीन और कीमो पॉल ने 17 रन देकर तीन विकेट झटके.

इससे पहले दिल्ली कैपिटल्स ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी के लिए बुलाए जाने के बाद निर्धारित 20 ओवर में सात विकेट खोकर 155 रन बनाए.

दिल्ली के कप्तान श्रेयस अय्यर ने 45 और कोलिन मुनरो ने 40 रन बनाए.

एक तरह से इस मैच में दिल्ली के तेज़ गेंदाबाज़ों के सामने हैदराबाद की बल्लेबाज़ी ताश के पत्तों की तरह ढह गई.

इस जीत के साथ ही दिल्ली कैपिटल्स आठ मैचों में पांच जीत और तीन हार और 10 अंको के साथ अंक तालिका में दूसरे स्थान पर आ गई है.

ऐसा लगता है कि दिल्ली ने अपना नाम बदलकर अपनी क़िस्मत भी बदल दी है. इससे पहले दिल्ली कैपिटल्स दिल्ली डेयरडेविल्स के नाम से खेलती थी.

दूसरी तरफ़ सनराईज़र्स हैरदराबाद के अब सात मैच में तीन जीत और चार हार के बाद छह अंक हैं और वह छठे स्थान पर पहुंच गई है.

इससे पहले खेले गए पहले मैच में चेन्नई सुपर किंग्स ने अपनी जीत की लय बरक़रार रखते हुए ईडन गार्डंस में मेज़बान कोलकाता नाइट राइडर्स को पांच विकेट से मात दी.

चेन्नई के सामने जीत के लिए 162 रनों का लक्ष्य था जो उसने सुरेश रैना के नाबाद 58 और रविंद्र जडेजा के नाबाद 31 रन की मदद से दो गेंद पहले 19.4 ओवर में पांच विकेट खोकर हासिल कर लिया.

इससे पहले टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए कोलकाता ने सलमी बल्लेबाज़ क्रिस लिन के 82 और नीतीश राणा के 21 रनों की मदद से निर्धारित 20 ओवर में आठ विकेट खोकर 161 रन बनाए.

इस मैच के हीरो वैसे तो सुरेश रैना रहे जो लम्बे समय बाद अपनी लय में लौटे लेकिन मैच में रोमांच रविंद्र जडेजा ने भी पैदा किया. उन्होंने पारी के 19वें ओवर में हैरी गर्नी की गेंदों पर लगातार तीन चौके लगाकर चेन्नई की नाव जीत के पार लगा दी.

इस ओवर में बने 16 रन कोलकाता की हार की मुख्य वजह भी साबित हुए.

आख़िरी ओवर में तो चेन्नई को जीत के लिए केवल आठ रनों की ज़रूरत थी जो पियूष चावला की गेंदों पर आसानी से बन गए.

इस मुक़ाबले में सुरेश रैना भी 42 गेंदों पर सात चौके और एक छक्के के सहारे बनाए गए नाबाद 58 रनों की बदौलत सुर्ख़ियों में छा गए. यह इस आईपीएल में सुरेश रैना का पहला अर्धशतक है.

इससे पहले वह दिल्ली कैपिटल्स के ख़िलाफ़ 30 और राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ 36 रन बनाने में ज़रूर कामयाब रहे थे लेकिन इसके बाद लगातार चार मैच में उनका बल्ला कुछ ख़ास नही चमका.

वैसे सुरेश रैना आईपीएल के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ो में से एक रहे हैं. वह आईपीएल में 5000 से अधिक रन बना चुके हैं.

सुरेश रैना दो साल पहले तब चर्चा में आए थे जब वह और युवराज सिंह श्रीलंका के ख़िलाफ़ एकदिवसीय सीरीज़ से पहले यो-यो टेस्ट की वजह से भारतीय टीम से बाहर कर दिए गए थे.

कभी भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ फ़िल्डर माने जाने वाले सुरेश रैना ने भारत के लिए अपना पिछला एकदिवसीय मैच पिछले साल जुलाई में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेला था जिसमें वह केवल एक रन ही बना सके थे.

रविवार के चेन्नई की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले गेंदबाज़ इमरान ताहिर को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

उन्होंने चार ओवर में केवल 27 रन देकर चार विकेट हासिल किए.

उनका शिकार बने कोलकाता के लिए सर्वाधिक 82 रन बनाने वाले क्रिस लिन, नीतीश राणा, रॉबिन उथप्पा और अपने बल्ले से इस बार बेहद ख़तरनाक साबित हो रहे आंद्रे रसेल.

अगर यह माना जाए कि इमरान ताहिर ने चेन्नई की जीत की रहा आसान की तो ग़लत नहीं होगा. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी उन पर बेहद भरोसा है.

इस जीत की बदौलत पिछली चैंपियन चेन्नई तेज़ी से अंक तालिका में टॉप पर तो बनी हुई है साथ ही अब उसके खाते में आठ मैचों में सात जीत और एक हार के साथ 14 अंक हैं.

Monday, April 8, 2019

संविधान के दायरे में राम मंदिर निर्माण की संभावनाओं को तलाशा जाएगा

लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया.

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह घोषणा पत्र तीन चीज़ों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि "राष्ट्रवाद हमारी प्रेरणा है, अन्त्योदय हमारा दर्शन है और सुशासन हमारा मंत्र है."

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अलग से जल शक्ति मंत्रालय बनाएगी, जो मछुआरों के सशक्तीकरण के लिए काम करेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज देश के कई प्रदेशों में पानी की समस्या के समाधान को गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है. इसलिए हम एक अलग 'जल शक्ति मंत्रालय' बनाएंगे."

अपने गिनाए वादों में उन्होंने हर घर तक नल से जल पहुंचाने की बात कही.

वहीं कांग्रेस ने भाजपा के घोषणा पत्र को "झांसा पत्र" करार दिया. कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घोषणा पत्र की जगह माफ़ीनामा पत्र जारी करना चाहिए था.

भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को 'संकल्प पत्र' का नाम दिया है. अमित शाह की अध्यक्षता में जारी किए गए घोषणा पत्र में भाजपा ने वादा किया है कि राष्ट्रवाद उनकी सरकार की प्राथमिकता होगी.

राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा.

वहीं उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर भी बात की और कहा कि संविधान के दायरे में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए सभी संभावनाओं की तलाश की जाएगी और सही प्रयास किए जाएंगे.

घोषणा पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर अगली सरकार बनती है तो सबरीमला जैसे मामलों में "आस्था और विश्वास के विषयों को संवैधानिक संरक्षण" दिया जाएगा.

"आतंकवाद" और "उग्रवाद" के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस और "आतंकवाद" का मुकाबला करने के लिए सुरक्षाबलों को सशक्त किया जाएगा.

सुरक्षा बलों को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा.
पूर्वोत्तर राज्यों में अवैध घुसपैठ रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे.
धारा 370

जम्मू-कश्मीर में शांति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए जाएंगे.
भाजपा का मानना है कि धारा 35A जम्मू-कश्मीर के गैर-स्थायी निवासियों और महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण है. यह राज्य के विकास में बाधा है.

कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रयास किया जाएगा.
धारा 370 पर भाजपा सरकार का पुराना रुख़ बरकरार रहेगा.
राम मंदिर

संविधान के दायरे में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए सभी संभावनाओं को तलाश किया जाएगा और इसके लिए सभी आवश्यक प्रयास किए जाएंगे.

सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सबरीमला की आस्था, परंपरा और पूजा पद्धति का पूरा विषय रखा जाएगा. यह प्रयास होगा कि आस्था और विश्वास के विषयों को संवैधानिक संरक्षण मिले.
कृषि

देश के सभी किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की जाएगी.
छोटे और खेतिहर किसानों की सामाजिक सुरक्षा के लिए 60 साल की उम्र के बाद पेंशन दिया जाएगा.
कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए 25 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा.
आधारभूत संरचना/व्यापार

2022 तक रेल पटरियों का ब्रॉड गेज में परिवर्तन किया जाएगा और उनका विद्युतीकरण किया जाएगा.
भारत साल 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर और साल 2032 तक 10 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगी.
आधारभूत संरचना को विकसित करने के लिए 100 लाख करोड़ का पूंजीगत निवेश किया जाएगा.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए एक लाख करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी योजना शुरू की जाएगी.
राष्ट्रीय व्यापार आयोग की स्थापना की जाएगी.

175 गीगा वॉट नवीनकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करेंगे.
महिलाएं

सरकारी क्षेत्र में महिलाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
संविधान में प्रावधान करके महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा.
तीन तलाक़ को खत्म कर मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाया जाएगा.
स्वास्थ्य

आयुष्मान भारत के तहत 1.50 लाख स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्र खोले जाएंगे.
देशभर में 75 मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे.

प्रशिक्षित डॉक्टरों और जनसंख्या का अनुपात 1:1400 करने का प्रयास किया जाएगा.

Friday, April 5, 2019

43% ने कहा- पीएम पद पर मोदी पहली पसंद, लेकिन 41% मानते हैं उन्होंने राफेल में गड़बड़ी की

नई दिल्ली. देश में भले ही कुछ महीनों से अयोध्या, रफेल और गोरक्षा जैसे मुद्दे चर्चा में रहे हों, लेकिन वोटर इस समय विकास को सबसे अहम चुनावी मुद्दा मान रहा है। यह बात सीएसडीएस-लोकनीति-तिरंगा टीवी-द हिंंदू और दैनिक भास्कर के प्री-पोल सर्वे में सामने आई है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 43% लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी ही पहली पसंद हैं। हालांकि, 41% लोग मानते हैं मोदी ने राफेल में गड़बड़ी की पर मिनिमम इनकम गारंटी के चुनावी वादे के बावजूद 28% लोग ही चाहते हैं कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनें। सिर्फ 3% लोगों के लिए राफेल-मंदिर बड़े मुद्दे हैं। 33% विकास और 25% लोग महंगाई के मुद्दे पर वोट डालेंगे।

सर्वे कैसे हुआ
सर्वे 19 राज्यों में 24 से 31 मार्च के बीच किया गया। इसमें 101 लोकसभा क्षेत्रों की 101 विधानसभा सीटों के 10,010 लोगों ने भाग लिया। सर्वे में कुल 46% महिलाएं, 19% अनुसूचित जाति, 10% अनुसूचित जनजाति, 13% मुस्लिम, 2% ईसाई और 3% सिख मतदाता शामिल थे। यह सर्वे चार भागों में है। आज पढ़िए इसकी पहली कड़ी...

बालाकोट, सवर्ण आरक्षण, किसान सम्मान सबसे असरदार 
सर्वे में कई चौंकाने वाले फैक्टर सामने आए हैं। जैसे- मई 2018 में जहां सिर्फ 34% लोग चाहते थे कि मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें। वहीं 24 से 31 मार्च के बीच किए गए इस प्री पोल सर्वे में 43 फीसदी लोगों ने मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री पद पर देखने की इच्छा जताई। यहां बालाकोट एयर स्ट्राइक, सवर्ण आरक्षण और किसान सम्मान जैसी योजनाओं का असर देखने को मिला।

किसान सम्मान योजना, एयर स्ट्राइक और सवर्ण आरक्षण ने मोदी की लोकप्रियता 9% तक बढ़ाई
इनकंबेंसी की मुखरता में फंसी मोदी सरकार के हालिया तीन फैसले उसे दोबारा सत्ता में दिलाने में मददगार हो सकते हैं। सीएसडीएस-लोकनीति के मार्च के आखिरी हफ्ते में किए गए सर्वे में यह निष्कर्ष सामने आया है। मोदी सरकार ने यह फैसले 7 जनवरी से 26 फरवरी के बीच लिए थे, इससे स्थिति कुछ बदल सकती है। हालांकि इसके बावजूद सत्ता में वापसी बेहद करीबी मामला होने जा रहा है।

मई 2018 : 34% लोग मोदी की वापसी चाहते थे, प्री पोल सर्वे : 43% चाहते हैं मोदी फिर पीएम बनें
7 जनवरी को मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था। 1 फरवरी को गरीब किसानों के खाते में सीधे धन ट्रांसफर करने की किसान सम्मान निधि की घोषणा की थी। जबकि फरवरी के आखिरी हफ्ते में पुलवामा हमले के बदले के तौर पर पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की थी। सर्वे के मुताबिक 43 फीसदी लोग नरेंद्र मोदी की सत्ता में फिर से वापसी चाहते हैं। यह 2014 के चुनाव से सात फीसदी अधिक और मई 2018 के सर्वे की तुलना में नौ फीसदी अधिक है। मई 2018 में 34 फीसदी ने सरकार की वापसी चाही थी। शायद यह कहना गलत नहीं होगा कि यह इजाफा ऊपर बताए तीन फैसलों की वजह से है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2018 में तीन राज्यों में भाजपा की हार के बावजूद यह बढ़ोतरी हुई है। हालांकि सर्वे में लोगों से पूछा गया कि वे किन मुद्दों पर वोट देंगे तो सिर्फ चार फीसदी ने एयरस्ट्राइक और तीन फीसदी ने ही सवर्ण आरक्षण को मुद्दा बताया। 33 फीसदी ने विकास, 25 फीसदी ने महंगाई और 20 फीसदी ने बेरोजगारी के मुद्दे पर वोट डालने की बात कही है।

बालाकोट एयर स्ट्राइक से मोदी को फायदा

पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी कैंप तबाह करने का फैसला नरेन्द्र मोदी को इस चुनाव में फायदा पहुंचाने वाला हो सकता है। इस एयर स्ट्राइक के बारे में न जानने वाले वोटर्स की तुलना में जानने वाले वोटर्स में मोदी सरकार को एक और मौका देने का प्रतिशत ज्यादा है।