Monday, November 19, 2018

वो चार दीवारें खड़ी करते थे, हम घर बना रहे

छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद अब सभी की निगाहें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार पर लग गई है. 28 नवंबर को राज्य में होने वाले मतदान के लिए सभी पार्टियों ने अपना पूरा दम लगा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राज्य के 2 जिलों में चुनावी रैली कर रहे हैं.

झाबुआ में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने नोटबंदी पर कहा कि इस देश को भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया है. हर कोई काम के लिए पैसा मांगता रहता है, बिना पैसा दिए कोई काम नहीं होता, क्या इस देश को इस बीमारी से बाहर निकालना चाहिए. दीमक लगता है तो सबसे जहरीली दवा डालनी पड़ती है, हिंदुस्तान में कांग्रेस के कालखंड में ऐसा भ्रष्टाचार बढ़ गया कि नोटबंदी जैसी कड़ी दवाई का इस्तेमाल करना पड़ा.

पाई-पाई जमा कराने को मजबूर

उन्होंने कहा कि आज मोदी की ताकत देखिए कि पाई-पाई तक बैंकों में जमा कराने को मजबूर कर दिया. आज देश में जो घर, स्कूल, अस्पताल बन रहे हैं, ये सारे पैसे पहले बिस्तर के नीचे छुपाए हुए थे और जब बाहर निकले तो विकास के काम आ रहे हैं. इससे उनको परेशानी हो रही है. वो चार दीवारें खड़ी करते रहे और हम घर बनाते रहे. हमने बड़ी संख्या में बेघर लोगों को रहने के लिए आवास दिए.

मोदी ने कहा कि कांग्रेस हमारे खिलाफ इसलिए है क्योंकि हमने 50 साल से लूटखसोट की आदत पर रोक लगाई है, इसलिए वो परेशान हैं.

उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि देश में एक भी गरीब ऐसा नहीं हो जिसके पास अपना पक्का घर ना हो। हम ऐसे घर बनाकर दे रहें हैं जिसमें घर में नल भी होगा, नल में जल भी होगा, घर में बिजली भी होगी, शौचालय भी होगा और घर में खाना बनाने के लिए गैस का कनेक्शन भी होगा.

इससे पहले सोमवार को इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सोनिया गांधी ने पीएम मोदी का नाम लिए बिना कहा था कि कुछ लोग काम करते हैं और कुछ लोग श्रेय लेते हैं. सोनिया ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने कभी अपना प्रचार नहीं किया. उन्होंने कभी किसी काम का श्रेय नहीं लिया.

गरीबों के इलाज का खर्च देगी सरकार

आयुष्मान भारत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम आयुष्मान योजना लाए, गरीब जो बीमार है, डॉक्टर के पास जाएगा उसका बड़ा खर्चा हो जाएगा. किडनी खराब है, दिल की बीमारी है उसका इलाज कराने में लाखों रुपए खर्च हो जाएंगे. हम गरीबों के लिए आयुष्मान भारत लेकर आए. अब गरीब भी अच्छे अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे. गरीबों के इलाज और ऑपरेशन का खर्चा सरकार देगी.

मोदी ने कहा कि हमारा मंत्र है बालक-बालिकाओं के लिए पढ़ाई, युवाओं के लिए कमाई, किसानों के लिए सिंचाई और बुजुर्गों के लिए दवाई.

Sunday, November 18, 2018

'बॉर्डर' के असली नायक ब्रिगेडियर कुलदीप चांदपुरी का निधन

भारतीय सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का देहांत हो गया है. ब्रिगेडियर चांदपुरी 78 साल के थे और पारिवारिक सूत्रों के अनुसार मोहाली के फ़ोर्टिस अस्पताल में शनिवार सुबह नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में राजस्थान के लोंगेवाला मोर्चे पर हुई लड़ाई का उन्हें हीरो माना जाता है. भारतीय फ़ौज में शानदार सेवाओं के लिए उन्हें महावीर चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से नवाज़ा गया था.

ब्रिगेडियर चांदपुरी और उनके साथियों की लोंगेवाला मोर्चे पर दिखाई बहादुरी पर बॉलीवुड फ़िल्म 'बॉर्डर' बनाई गई थी. इस फ़िल्म में तत्कालीन मेजर कुलदीप चांदपुरी की भूमिका अभिनेता सनी देओल ने निभाई थी.

इस लड़ाई में चांदपुरी लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे. सीमा पर पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट थी और चांदपुरी की कमांड में सिर्फ़ 120 जवान थे.

उनकी रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट थी जिसमें अधिकतर जवान सिख थे और कुछ डोगरा फ़ौजी भी थे.

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बॉर्डर फ़िल्म के बारे में ब्रिगेडियर चांदपुरी ने कुछ समय पहले एक ख़ास मुलाक़ात के दौरान बीबीसी पंजाबी सेवा के पत्रकार सरबजीत धालीवाल को युद्ध और बॉर्डर फ़िल्म पर अपने विचार ज़ाहिर किए थे.

पढ़ें, कुलदीप चांदपुरी न क्या कहा था
फ़िल्म बॉर्डर में फ़ौज या वायु सेना के बारे में जो भी सीन दिखाए गए हैं. वह सारे सरकार की ओर से क्लियर किए गए थे.

बाकी डांस के सीन वग़ैराह तो न तो असल में वहां लड़ाई में होता है न कभी हुआ है. पर यह फ़िल्म में जो नाच के सीन सबने देखे वह सच नहीं थे.

लड़ाई 1971 को तीन दिसंबर शाम को शुरू हुई थी. उसमें 60 के क़रीब पाकिस्तान के टैंक आए थे जिनके साथ क़रीब तीन हज़ार जवान थे. उन्होंने क़रीब आधी रात को लोंगेवाला पर घेरा डाल दिया था.

मौत से हर कोई डरता है
जहां तक बाक़ी फ़ौज के आने का सवाल था. बाक़ी फ़ौज का सबसे क़रीबी बंदा मेरे से 17-18 किलोमीटर दूर था.

जब हम घिर गए तो मेरी पंजाब रेजिमेंट की कंपनी को एक आदेश था कि लोंगेवाला एक अहम पोस्ट है जिसके लिए आपको आख़िरी बंदे तक लड़ना होगा. हर हालत में उसे कब्ज़े में रखना होगा.

मैं बहुत आभारी हूं अपने जवानों का. उन्होंने बहुत बहादुरी दिखाई. हमने फ़ैसला किया कि हम यहीं लड़ेंगे और लड़कर मारेंगे.

लड़ाई तो जो होनी थी वो हुई पर एक बात ज़रूर बताना चाहूंगा कि मौत से हर बंदा डरता है, बड़े-बड़े योद्धा डरते हैं. मैं भी डरता हूं. बाक़ी सब भी डरते हैं.

ख़ुद लड़कर मरना कोई मुश्किल काम नहीं है पर अपने साथ बाकियों को खड़े करना और कहना कि आप भी मेरे साथ लड़ो और मरो यह बेहद मुश्किल काम है.

Friday, November 16, 2018

टीम में मुझे सबसे ज्यादा न रवि शास्त्री से ही सुनने को मिलती है

कोच रवि शास्त्री की नजर में विराट कोहली की अगुआई वाली टीम इंडिया पिछले 15 साल की सर्वश्रेष्ठ टीम है। हालांकि, कोहली का कहना है कि उन्हें टीम में सबसे ज्यादा न रवि शास्त्री से ही सुनने को मिलती है। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना होने से पहले विराट कोहली और रवि शास्त्री ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। ऑस्ट्रेलिया में भारत तीन टी-20, चार टेस्ट और तीन वनडे की सीरीज खेलेगा।

शास्त्री के मैन मैनेजमेंट का जवाब नहीं
विराट ने बताया, 'सबसे ज्यादा ना मुझे कोच से ही सुनने को मिली है, लेकिन ये निजी चीजें होती हैं। ये टीम के एक अंदरूनी माहौल में होती हैं। टीम में हर किसी को अपनी राय रखने की आजादी है। एक दिन मेरा क्रिकेट खत्म हो जाएगा। रवि भाई भी चले जाएंगे। हम सिर्फ एक दी गई जिम्मेदारी के लिए काम करते हैं। हम दोनों , बल्कि हम सभी का एक ही मकसद है कि क्रिकेट को आगे ले जाएं। 2014 में मेरे इंग्लैंड दौरे और 2015 में शिखर धवन को दबाव से बाहर निकालने में शास्त्री का अहम योगदान रहा है। उनके सुझावों पर मैंने टीम में कई अहम बदलाव किए। मैन मैनेजमेंट के मामले में वे लाजवाब हैं।'

ऑस्ट्रेलिया में बल्लेबाजी पर फोकस
विराट ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में हमारा फोकस बल्लेबाजी पर ज्यादा रहेगा, क्योंकि मौजूदा समय में हमारे गेंदबाज अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। अगर निचले क्रम में ऑलराउंडर रनों से अपना योगदान देने में सफल रहेंगे तो हम किसी भी मैच या सीरीज के नतीजे को बदल सकते हैं। इंग्लैंड में लॉर्ड्स टेस्ट को छोड़ दें तो हमने टुकड़े-टुकड़े में अच्छी बल्लेबाजी की। हां, किसी एक मैच में हमारे बल्लेबाज एक साथ अच्छा नहीं कर पाए।

अब प्रयोग करने का समय नहीं बचा : शास्त्री
शास्त्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज को हम हल्के में नहीं ले सकते, क्योंकि वर्ल्ड कप से पहले यह सीरीज होगी। ऐसे समय में अब हम किसी और खिलाड़ी को चोटिल होते नहीं देख सकते। अब प्रयोग करने का समय बीत चुका है। हमारे पास अब किसी भी खिलाड़ी को हटाने या बदलने का वक्त नहीं है।

इस साल की शुरुआत में ही तय हो गया था कि विराट कोहली की अगुआई में टीम इंडिया को तीन मुश्किल चुनौतियों से जूझना होगा। दक्षिण अफ्रीका दौरा, इंग्लैंड दौरा और ऑस्ट्रेलिया दौरा ये तीन चुनौतियां थीं। टेस्ट क्रिकेट में इन तीनों ही देशों में भारत का रिकॉर्ड अच्छा नहीं था। दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया कभी कोई सीरीज नहीं जीत सकी थी। वहीं, इंग्लैंड में पिछले दो दौरे पर करारी हार मिली थी। इस बार दक्षिण अफ्रीका में भारत ने कड़ा संघर्ष किया लेकिन, 1-2 से हार मिली। इंग्लैंड में पांच मैचों की सीरीज 1-4 से गंवाई। अब बारी है ऑस्ट्रेलिया दौरे की।

ऑस्ट्रेलिया में आठ सीरीज हार चुकी है टीम इंडिया

टीम इंडिया 1947 से ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रही है। तब से अब तक टीम इंडिया 11 बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज खेल चुकी है। इनमें से 8 सीरीज में हमें हार का सामना करना पड़ा। वहीं तीन सीरीज ड्रॉ रही। पिछले लगातार तीन ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज गंवाई है। ऑस्ट्रेलिया में भारत की मुश्किल का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वहां टीम अब तक 44 टेस्ट में सिर्फ पांच ही जीत पाई है। उसे 28 में हार का सामना करना पड़ा है और 11 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।

Tuesday, November 6, 2018

IL&FS को पहला झटका, वापस लिया जा सकता है जोजिला सुरंग का ठेका

सरकार ने कर्ज से बेहाल कंपनी के आईएलएंडएफएस के नए बोर्ड से पूछा है कि इस प्रॉजेक्ट पर कितनी जल्दी काम शुरू हो सकता है? इस परियोजना के लिए सरकार फिर से बोली मंगाने पर विचार कर सकती है

रजत अरोड़ा, नई दिल्ली 
जम्मू-कश्मीर में रणनीतिक अहमियत वाली जोजिला सुरंग का जो ठेका इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशल सर्विसेज (IL&FS) को दिया गया था, उसके लिए फिर से बोली मंगाई जा सकती है। सरकार ने कर्ज से बेहाल IL&FS के नए बोर्ड से पूछा है कि इस प्रॉजेक्ट पर कितनी जल्दी काम शुरू हो सकता है? जोजिला प्रॉजेक्ट के तहत 14.2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जानी है, जो सड़क मार्ग के लिए सबसे लंबी टनल होगी। यह सुरंग 11,578 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनाई जाएगी। IL&FS ने पिछले साल यह ठेका हासिल किया था और इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में कश्मीर यात्रा के दौरान किया था।

तय समय पर काम पूरा न होने का डर
IL&FS के वित्तीय संकट में फंसने के बाद रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री को यह डर सता रहा है कि इस प्रॉजेक्ट का काम शायद तय समय पर पूरा न हो पाए। नैशनल हाइवेज ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन मिनिस्ट्री की तरफ से इस प्रॉजेक्ट को हैंडल कर रहा है। एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिसर ने बताया, 'हमने उनसे (IL&FS) पूछा है कि क्या वे प्रॉजेक्ट को हैंडल करने में सक्षम हैं? सरकार इसमें देरी बर्दाश्त नहीं कर सकती। अगर इसकी आशंका होगी तो हम प्रोजेक्ट के लिए नए सिरे से बोली मंगाएंगे।'

ज्वाइंट मैकेनिज्म बनाने का सुझाव 
अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय IL&FS की मदद करना चाहता है। कंपनी के पास जो नैशनल हाइवेज प्रॉजेक्ट्स हैं, उनके लिए उसने जॉइंट मैकनिजम बनाने का सुझाव दिया है। IL&FS का नया बोर्ड उम्मीद कर रहा है कि पुराने हाइवेज प्रॉजेक्ट्स में हिस्सेदारी बेचने से कंपनी को 20 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। उन्होंने बताया, ‘अगर वे ऑपरेशनल नैशनल हाइवे प्रॉजेक्ट्स को बेचना चाहते हैं, तो हम उसके लिए तुरंत मंजूरी देंगे। हम आर्बिट्रेशन केस को भी जल्द-से-जल्द सुलझाना चाहते हैं।’ 

IL&FS के पास 17 NH प्रॉजेक्ट
IL&FS और उसकी सब्सिडियरीज के पास 17 नैशनल हाइवे प्रॉजेक्ट्स हैं। इनमें से चार निर्माणाधीन हैं। इन प्रॉजेक्ट्स की लागत कम-से-कम 15 हजार करोड़ रुपये होगी। जोजिला सुरंग बनाने का ऐलान पहली बार यूपीए 2 सरकार के कार्यकाल में हुआ था। उसके बाद आई एनडीए सरकार ने 2016 में इस प्रॉजेक्ट को आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिया था, लेकिन इस टेंडर को बाद में कैंसल कर दिया गया। उसके बाद सरकार ने प्रॉजेक्ट को इंजिनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन मॉडल पर बनवाने का निर्णय लिया, जिसके लिए IL&FS की सब्सिडियरी ने बोली जीती। 

Sunday, November 4, 2018

'आसिया बीबी! पाकिस्तान को एक और दरिया पार करना है'

कोई राष्ट्र हवा में नहीं बनता बल्कि एक संविधान, इस संविधान से पैदा होने वाली सरकार और इस संविधान को लागू करने वाली अदालत के एक साथ जुड़ाव का नाम ही राष्ट्र है.

अगर संविधान और उसको मानने वाले तो हों मगर लागू करने वाले न हों तो ऐसा संविधान रद्दी से भी सस्ता और ऐसा राष्ट्र पीतल के भाव है.

इस वक़्त पाकिस्तानी राष्ट्र के सामने फिर इस सवाल का सामना करना है कि क्या रियासत में इतनी ताक़त है कि अपने बल पर अपने एक-एक नागरिक की रक्षा कर सके?

हो सकता है आप लोग कहें, भला ये क्या बात हुई? ज़ाहिर है हर देश में इतनी क्षमता होती है तभी तो वो एक अलग और स्वतंत्र राष्ट्र कहलाता है.

मगर हम पाकिस्तानियों के लिए ये सवाल वाक़ई अहम है क्योंकि हमने पिछले कई वर्ष इसमें गवां दिए कि तालिबानी हमारे ही भटके भाई हैं जिन्हें प्यार और दलील से ये समझाया जा सकता है कि जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद नहीं करते.

तालिबानी'राक्षस'

हम इंतज़ार करते रहे कि तालिबान समझ जाएगा. इस इंतज़ार में हमने हज़ारों पाकिस्तानी चरमपंथ के राक्षस की भेंट कर दिए ताकि वो ख़ुश होकर बाकियों को बख़्श दे और कछार में वापस चला जाए.

मगर ऐसा कब होता है? चुनांचे जिस राक्षस को राष्ट्र ने अपने से भी बड़ा दिखने की इजाज़त और सहूलियत दी, आख़िर में उसी से गुत्थमगुत्था होकर बाद में ख़ून में लथपथ होने के बाद पछाड़ना पड़ा.

आग और ख़ून के दरिया से गुज़रने के बाद हमें सीख जाना चाहिए था कि अब हम ऐसे किसी संगठन को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो हमारे बर्दाश्त के दूध पर पल-पलकर एक और राक्षस बन जाए.

एक क्रिश्चियन औरत आसिया बीबी को उच्च न्यायलय की तरफ़ से इस आरोप से मुक्ति मिलने के बाद कि 'आसिया ने पैगम्बर-ए-इस्लाम की निंदा नहीं की बल्कि उसे इससे जुड़े इल्ज़ाम में फंसाया गया.'

हममें से बहुतों के सिर फ़ख्र से ऊंचे हो गए कि पाकिस्तान में भी एक आम नागरिक को, भले उसका धर्म कोई भी हो, इंसाफ़ मिल सकता है.

इस फ़ैसले के विरोधियों ने जिस तरह फ़ौज और जजों को धमकियां दीं और एलान-ए-बग़ावत करके आम लोगों को तोड़-फोड़ करने के लिए उकसाया, उसके बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की दो टूक चेतावनी से बहुत हौसला मिला कि राष्ट्र को चैलेंज करने वालों से सख़्ती से निबटा जाएगा.

मगर सिर्फ़ तीन दिन बाद ही सरकार ने यू-टर्न लेकर फ़ैसले के विरोधियों से उसी तरह समझौता कर लिया जैसा तालिबान से किया जाता रहा और आख़िर में उन्हें सींगों से पकड़ना पड़ा.

अब एक तरफ़ पाकिस्तान का उच्च न्यायालय अकेला खड़ा है और दूसरी ओर सरकार सिर झुकाए जाने किस सोच में है... और दरम्यान में आसिया बीबी को बरी करने के विरोधी टांगें चौड़ी करके चल रहे हैं.

लगता है इस देश की क़िस्मत में एक और लंबी, ठंडी रात लिख दी गई है.

इक और दरिया का सामना था 'मुनीर' मुझको

मैं एक दरिया के पार उतरा तो मैंने देखा

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