Monday, December 31, 2018

मारपीट के आरोप के बाद अतीक अहमद को बरेली जेल किया शिफ्ट

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला जेल में बंद बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद के द्वारा लखनऊ के एक रियल स्टेट कारोबारी की पिटाई के आरोप के बाद वहां छापेमारी की गई. जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने रविवार रात भारी सुरक्षा बलों के साथ जेल में दो घंटे छापेमारी की. इस दौरान सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ की बात सामने आई. बहरहाल अतीक अहमद को बरेली जेल में शिफ्ट कर दिया गया है.

लखनऊ के रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने अतीक के खिलाफ अपहरण करके देवरिया जिला जेल में लाकर मारपीट करने और प्रॉपर्टी हस्तांतरित करने के लिए जबरन हस्ताक्षर कराने का मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं, राज्य के गृह मामलों के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने कहा है कि सरकार ने इस मामले में संज्ञान लिया है और जेल प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है ताकि जो शिकायत मिली है, उसके बारे में जिम्मेदारी तय की जा सके.

बहरहाल मामले का संज्ञान लेते हुए डीएम और एसपी ने रविवार देर रात छापेमारी की. डीएम ने बताया की जेल में लगे सीसीटवी फुटेज से छेड़छाड़ की गई है. मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है. डीआईजी जेल अलग से इसकी जांच कर रहे हैं. फिलहाल अतीक अहमद को बरेली जिला जेल स्थानांतरित कर दिया गया है. प्रशासन ने इस संबंध में एक आदेश भी जारी किया है.

आरोप है कि देवरिया जिला जेल में अतीक अहमद ने लखनऊ के एक रियल स्टेट कारोबारी का न सिर्फ अपहरण कराया, बल्कि जेल में बुलाकार पीट-पीटकर उसकी उंगलियां तक तोड़ डालीं. आरोप है कि अतीक अहमद पीड़ित की कंपनियों का जबरन मालिकाना हक चाहते थे. लखनऊ के रहने वाले मोहित जायसवाल, रियल स्टेट समेत कई दूसरे बिजनेस करते हैं. मोहित ने कहा, 'मेरे बिजनेस पर अतीक अहमद की नजर पड़ गई है. अतीक ने कई बार जेल के भीतर से ही लाखों की रंगदारी वसूली. एक दिन अतीक के गुर्गों ने मेरा अपहरण कर लिया और देवरिया जेल ले गए. यहां अतीक ने मुझे पीटा. मेरा उंगली तोड़ दी.'

मारपीट के आरोपों को बताया गलत

वहीं, देवरिया जेल के अधीक्षक डीके पांडे मोहित जायसवाल के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि मारपीट की सूचना पूरी तरह गलत है. दोनों के बीच नियम कायदों के मुताबिक मुलाकात हुई.  जायसवाल ने इस संबंध में उन्हें कोई शिकायत नहीं की है.

डीके पांडेय ने कहा कि 26 तारीख को मोहित जायसवाल, अतीक अहमद से मिलने आए थे. दिन में 11 बजे एक आदमी के साथ आए मोहित की मुलाक़ात अतीक से जेल नियमों के अनुसार कराई गई थी. अपहरण करने के मामले की कोई जानकारी नहीं है. मैं इस मामले में आंतरिक रूप से जांच करूंगा. सीसीटीवी फुटेज भी देखूंगा. वहीं, इस मामले में मोहित की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है.

Wednesday, December 26, 2018

सरकार ने लिया ITR से जुड़ा बड़ा फैसला, इन लोगों को मिलेगी राहत

केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ऑनलाइन टैक्‍स फाइलिंग को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सीबीडीटी के इस फैसले के बाद अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और निवासी आवेदकों के लिए कर कटौती या टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्सेज) का आवेदन करना आसान हो जाएगा.

दरअसल, आयकर अधिनियम 1961 की धारा 197 के तहत कम या शून्य दर पर टैक्‍स की कटौती के लिए आवेदक को आकलन अधिकारी से अनुरोध करना होता है.  अब तक इस तरह के आवेदन ''फॉर्म 13'' के जरिये ऑनलाइन ही किए जा सकते थे. धारा 197 और 206सी (9) के प्रावधानों पर समुचित ढंग से अमल करने और फॉर्म संख्‍या 13 में आवेदन ऑनलाइन भरने में आवेदकों को कई बार दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता था.  इन्‍हीं कठिनाइयों को दूर करने के उद्देश्‍य से सीबीडीटी ने मैनुअल ढंग से आवेदन की छूट दी है. एनआरआई इस छूट का लाभ 31 मार्च 2019 तक और निवासी आवेदक 31 दिसंबर 2018 तक उठा सकते हैं.

बता दें कि हाल ही में सीबीडीटी की ओर से बताया गया था कि टैक्‍स रिटर्न फाइल करने वाले लोगों को जल्द ही पहले से भरे हुए ITR फॉर्म मिलेंगे. इससे रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी. सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा के मुताबिक आयकर विभाग इंप्लॉयर या किसी अन्य संस्था (जैसे- बैंक) द्वारा काटे गए टीडीएस के आधार पर पहले से भरे फॉर्म की प्रणाली तैयार कर रहा है.इसका मतलब ये हुआ कि इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइल करने वाले करदाता को अगर लगता है कि पहले से भरे फॉर्म में कुछ संशोधन की जरूरत है तो वह बदलाव के साथ रिटर्न फाइल कर सकता है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को संवैधानिक तो बताया लेकिन इसकी अनिवार्यता पर सवाल खड़े किए. कोर्ट के आदेश के बाद स्‍कूलों और अलग-अगल परीक्षाओं में आधार की अनिवार्यता को समाप्‍त कर दिया गया है. इसके अलावा मोबाइल नंबर लेने, बैंक खाता खुलवाने के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य नहीं रह गया है. हालांकि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड अभी भी जरूरी है.

गौरतलब है कि युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय के विरोध में 26 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान किया है, यूएफबीयू शीर्ष नौ बैंक संघों की एक ईकाई है.

फिल्म में राजकुमार एक संघर्षरत गुजराती व्यवसायी के रूप में दिखेंगे और मौनी उनकी पत्नी के किरदार में दिखेंगी. गुजराती निर्देशक मिखिल मुसले की यह पहली बॉलीवुड फिल्म है. वर्ष 2016 की उनकी गुजराती थ्रिलर-फिल्म 'रॉन्ग साइड राजू' को सर्वश्रेष्ठ गुजराती फीचर फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बता दें राजकुमार राव के ल‍िए साल 2018 सफलता के नए आयाम लेकर आया है. उनकी कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफ‍िस पर शानदार प्रदर्शन किया. इनमें न्यूटन, स्त्री जैसी फिल्में शामिल हैं. साल 2019 में राजकुमार राव सोनम कपूर के साथ फिल्म एक लड़की को देखा... में नजर आने वाले हैं.

Monday, December 17, 2018

'हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाले जज को तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए': नज़रिया

मेघालय हाई कोर्ट के जज जस्टिस सुदीप रंजन सेन ने सफाई दी है कि भारत का संविधान धर्म निरपेक्षता की बात करता है और देश का बंटवारा धर्म, जाति, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर नहीं होना चाहिए.

जस्टिस सेन ने 14 तारीख को अपने आदेश से जुड़ी सफाई जारी की जिसमें उन्होंने लिखा, "धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान के मूल स्तंभों में है और मेरे आदेश को किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा या उसके संदर्भ में नहीं समझा जाना चाहिए."

इससे पहले 10 दिसंबर को नागरिकता सर्टिफिकेट जारी करने से जुड़े एक मामले की सुनवाई के बाद उन्होंने जो आदेश दिया उसमें उन्होंने लिखा था कि भारत को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए था.

आदेश में लिखा था, "आज़ादी के बाद भारत और पाकिस्तान का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था. पाकिस्तान ने स्वयं को इस्लामिक देश घोषित किया और इसी तरह भारत को भी हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था, लेकिन ये एक धर्मनिरपेक्ष देश बना रहा."

जस्टिस सेन के आदेश को लेकर विवाद छिड़ा और कई हलकों में इसकी आलोचना हुई. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कहा कि ये संविधान की अवधारणा के विपरीत है.

ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत विभिन्न संप्रदायों के लोगों से मिलकर बना एक देश है जो कभी इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनेगा.

इस मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञ एजी नूरानी का कहना है कि जस्टिस सेन का आदेश भारत के संविधान का उल्लंघन है. पढ़िए, उनका नज़रिया -

जस्टिस सेन ने 10 दिसंबर को दिए अपने आदेश में भारत के हिंदू राष्ट्र होने का समर्थन किया था. इसके बाद उन्होंने इस पर अपनी सफाई भी दी है लेकिन उनका आदेश दो तरीके से भारतीय संविधान का उल्लंघन है.

पहला तो ये कि संविधान की प्रस्तावना में ही ये घोषणा की गई है कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है. जस्टिस सेन के सामने हमेशा ही ये रास्ता खुला है कि वो अपने पद से इस्तीफ़ा दें और उसके बाद भारत के हिंदू राष्ट्र होने का समर्थन करें.

एक महत्वपूर्ण पद पर आसीन होकर (एक बेंच का हिस्सा होते हुए) वो इस तरह की बात नहीं कर सकते क्योंकि अगर वो न्यायपालिका में किसी भी पद पर काम करना स्वीकार करते हैं तो वो पहले ये शपथ लेते हैं कि वो संविधान का पालन करेंगे.

दूसरा ये कि उनका शपथ लेकर अपने पद पर काम करना उन्हें इस बात कि बाध्य करता है लोगों में भेदभाव ना करें और सभी से समान व्यवहार करें.

जज की परिभाषा के आधार पर देखें तो अगर एक जज हिंदू राष्ट्र के हिमायती हैं तो वो पक्षपात कर रहे हैं.

क्या ग़लत किया जज ने
वो इस तथ्य से कतई अनजान नहीं हो सकते कि ये एक ऐसा मुद्दा है जिस पर राजनीतिक पार्टी बीजेपी और अन्य पार्टियों में मतभेद हैं. एक तरफ जहां बीजेपी हिंदुत्व की समर्थक है अन्य पार्टियां इसके विरुद्ध खड़ी हैं.

अपने बयान के कारण वो आज उसी जगह पर हैं जिसके बारे में एक बार ब्रितानी जज जस्टिस लॉर्ड डैनिंग ने कहा था कि "मैदान में उतरे भी और फिर विवाद की वजह से उड़ रही धूल से अंधे भी हो गए."

उनके ख़िलाफ़ महाभियोग का प्रस्ताव लाया जाना चाहिए या नहीं ये और बात है लेकिन इसमें दोराय नहीं कि उन्होंने उन लोगों का भरोसा खो दिया है जो संविधान पर भरोसा करते हैं. हालांकि ये उम्मीद की जानी चाहिए कि उनके ख़िलाफ महाभियोग लाया जाएगा.

Thursday, December 13, 2018

बिजनेसमैन से संजय गांधी के ऐसे खास दोस्त बने कमलनाथ, पढ़ें सियासी सफर

मध्य प्रदेश में 15 साल का वनवास खत्म कर कांग्रेस एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है. पार्टी ने दिग्गज नेता कमलनाथ को राज्य की कमान सौंपी है और वे अगले मुख्यमंत्री होंगे. बता दें कि 11 दिसंबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद से कांग्रेस में सीएम पद को लेकर माथापच्ची चल रही थी. मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा थी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से कमलनाथ के नाम पर मुहर लग चुकी है और सिर्फ औपचारिक ऐलान होना बाकी है.

कमलनाथ की गिनती देश के दिग्गज राजनेताओं में होती है. मध्य प्रदेश ने देश को जितने भी नामी राजनेता दिए हैं उनमें से एक कमलनाथ भी हैं. 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मशहूर दून स्कूल से हुई. दून स्कूल में उनकी जान पहचान कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे संजय गांधी से हुई. दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बी.कॉम में स्नातक किया. 27 जनवरी 1973 को कमलनाथ अलका नाथ के साथ शादी के बंधन में बंधे. कमलनाथ के दो बेटे हैं. उनका बड़ा बेटा नकुलनाथ राजनीति में सक्रिय है.

34 साल की उम्र में जीता पहला चुनाव

कमलनाथ 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. वह साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीते जो अब तक जारी है. कमलनाथ 1985, 1989, 1991 में लगातार चुनाव जीते. 1991 से 1995 तक उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्रालय संभाला. वहीं 1995 से 1996 तक वे कपड़ा  मंत्री रहे.

1998 और 1999 के चुनाव में भी कमलनाथ को जीत मिली. लगातार जीत हासिल करने से कमलनाथ का कांग्रेस में कद बढ़ता गया और 2001 में उन्हें महासचिव बनाया गया. वह 2004 तक पार्टी के महासचिव रहे. छिंदवाड़ा में तो जीत का दूसरा नाम कमलनाथ हो गए और 2004 में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की. यह लगातार उनकी 7वीं जीत थी. गांधी परिवार का सबसे करीबी होने का इनाम भी उनको मिलता रहा और इस बार मनमोहन सिंह की सरकार में वे फिर मंत्री बने और इस बार उन्हें वाणिज्य मंत्रालय मिला.

उन्होंने यूपीए-1 की सरकार में पूरे 5 साल तक यह अहम मंत्रालय संभाला. इसके बाद 2009 में चुनाव हुआ और एक बार फिर कांग्रेस का यह दिग्गज नेता लोकसभा के लिए चुना गया. छिंदवाड़ा में कांग्रेस का यह 'कमल' लगातार खिलता गया और इस बार की मनमोहन सिंह की सरकार में इनको सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मिला. साल 2012 में कमलनाथ संसदीय कार्यमंत्री बने.

Monday, December 10, 2018

विजय माल्या भारत लाया जाएगा, कोर्ट ने मंजूरी दी; मामला ब्रिटिश सरकार को रेफर किया

वेस्टमिंस्टर अदालत ने सोमवार को फैसला दिया कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (62) को ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित किया जाए। जज एम्मा आर्बुटनॉट ने कहा कि पहली नजर में माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश रचने और मनी लॉन्डरिंग का केस बनता है। अदालत ने यह मामला अब ब्रिटिश सरकार को भेज दिया है। फैसले से पहले कोर्ट पहुंचे माल्या ने कहा था कि मैंने रुपए लौटाने का प्रस्ताव दिया है, यह झूठा नहीं था। मेरे इस ऑफर का प्रत्यर्पण से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने पैसे चुराए नहीं। मैंने किंगफिशर एयरलाइंस को बचाने के लिए अपने 4 हजार करोड़ रुपए इसमें लगाए थे।

माल्या पर भारतीयों बैंकों के 9,000 करोड़ रुपए बकाया हैं। वह मार्च 2016 में लंदन भाग गया था। भारत ने पिछले साल फरवरी में यूके से उसके प्रत्यर्पण की अपील की थी। भारत में फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर अप्रैल 2017 में स्कॉटलैंड यार्ड में माल्या की गिरफ्तारी हुई लेकिन, जमानत पर छूट गया। उसके प्रत्यर्पण का मामला 4 दिसंबर 2017 से लंदन की अदालत में चल रहा है।

आगे क्या

यूके की लीगल एक्सपर्ट पावनी रेड्डी के मुताबिक, यूके सरकार अदालत के फैसले से संतुष्ट होती है तो वह माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश जारी करेगी। इस फैसले के खिलाफ माल्या के पास 14 दिन में हाईकोर्ट में अपील का अधिकार होगा।
माल्या ने अगर प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की तो यूके की सरकार के आदेश जारी करने के 28 दिन में उसका प्रत्यर्पण किया जाएगा।
माल्या की 5 दलीलें
माल्या का कहना है कि उसके खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित है। उसने एक रुपया भी उधार नहीं लिया। किंगफिशर एयरलाइंस ने लोन लिया था। कारोबार में घाटा होने की वजह से लोन की रकम खर्च हो गई। वह सिर्फ गारंटर था और यह फ्रॉड नहीं है। 
वह कर्ज का 100% मूलधन चुकाने को तैयार है। उसने साल 2016 में कर्नाटक हाईकोर्ट में भी यह ऑफर दिया था। उसका कहना है कि रकम चुराकर भागने की बात गलत है। उसे बैंक डिफॉल्ट का पोस्टर बॉय बना दिया गया है।
माल्या ने यह भी कहा था कि साल 2016 में उसने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिखकर जांच कमेटी गठित करने की मांग की थी लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला।
माल्या ने यह भी कहा था कि भारतीय जेलों की हालत अच्छी नहीं है। इसके बाद यूके की अदालत ने भारत से जेल का वीडियो मांगा था। भारत ने मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 का वीडियो भेजा था, जहां माल्या को रखा जाएगा। वीडियो देखने के बाद यूके की कोर्ट ने संतुष्टि जताई थी। 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रत्यर्पण पर फैसले से पहले माल्या ने यह भी कहा है कि राजनीति की वजह से उसे भारत में न्याय मिलने के आसार कम हैं। उसके खिलाफ नए आरोप लग सकते हैं।
भारतीय जांच एजेंसियों की दलील

सीबीआई ने यूके की अदालत के फैसले का स्वागत किया। कहा- हमें उम्मीद है कि माल्या को जल्द भारत लाया जाएगा और हम उसके खिलाफ मामलों में नतीजे पर पहुंचेंगे।
एजेंसी ने कहा- हमने तथ्यों और कानून के आधार पर मजबूती से अपना पक्ष रखा था और हम पूरी तरह आश्वस्त थे कि माल्या को प्रत्यर्पित किया जाएगा। 
माल्या ने जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया। वह प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत भगोड़ा घोषित है। उस पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। वह ब्रिटेन के कानून के मुताबिक भी आरोपी है।
अक्टूबर 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस बंद हुई
मार्च 2012 में माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस ने यूरोप और एशिया के लिए फ्लाइट्स बंद कर दीं। घरेलू बाजार में जहां किंगफिशर हर दिन 340 फ्लाइट्स ऑपरेट करती थीं, उन्हें घटाकर 125 कर दिया गया। लेकिन यह फॉर्मूला 8 महीने भी नहीं चला। अक्टूबर 2012 में किंगफिशर की सारी फ्लाइट्स बंद हो गईं।

साल 2013-14 तक एयरलाइंस का घाटा बढ़कर 4,301 करोड़ रुपए हो चुका था। इसी साल माल्या दुनिया के टॉप-100 अमीरों की लिस्ट से बाहर हो गया। लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर ब्याज बढ़ता गया। मार्च 2016 तक माल्या 9,000 करोड़ रुपए का कर्जदार हो गया और विदेश भाग गया।

आर्थिक अपराध के 18 मामलों में 23 भगोड़ों का प्रत्यर्पण बाकी

भारत की 48 देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है। साल 2014 से अब तक आर्थिक अपराध के मामलों में सिर्फ 5 अपराधियों का प्रत्यपर्ण हो पाया है। 23 भगोड़ों को अभी तक नहीं लाया जा सका है। इनके लिए संबंधित देशों से प्रत्यर्पण की अपील की जा चुकी है।

Wednesday, December 5, 2018

उर्जित पटेल पर दारोमदार, RBI-सरकार में होगी जंग या जारी रहेगी शांति?

केन्द्रीय रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक का आज तीसरा और आखिरी दिन है. दोपहर बाद इस बैठक में रिजर्व बैंक से उम्मीद है कि वह देश में ब्याज दरों पर अहम फैसला ले. हालांकि इस बैठक में केन्द्र सरकार समेत बाजार की नजर रिजर्व बैंक गलर्नर उर्जित पटेल पर लगी है. क्या मौद्रिक समीक्षा के लिए तीन दिनों तक चली बैठक के बाद उर्जित पटेल आरबीआई की स्वायतत्ता की मांग पर जोर देते हुए एक बार फिर केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच नई खींचतान की शुरुआत करेंगे.  

केंद्रीय रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा तीन कारणों से कारोबारी जगत में चर्चा का विषय बनती है. पहला, केन्द्रीय बैंक देश में महंगाई के खतरे को कैसे आंक रहा है और दूसरा क्या केन्द्रीय बैंक ने रेपो रेट (RR) और कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में बदलाव किया है. इस मौद्रिक समीक्षा में भी केन्द्रीय बैंक इन्हीं मुद्दों पर मंथन कर रहा है लेकिन इस बार के नतीजों में रिजर्व बैंक और केन्द्र सरकार के मौजूदा रिश्ते का संकेत भी मिलेगा. 

रेपो रेट वह दर है जिसपर कोई बैंक कम अवधि के लिए केन्द्रीय बैंक से कर्ज लेता है. इसके अलावा इस दर से देश में ब्याज दरें निर्धारित होती हैं जिसपर किसी कारोबारी अथवा आम उपभोक्ता को बैंक से कर्ज और निवेश पर ब्याज मिलता है. कैश रिजर्व रेश्यो बैंक के कुल पैसे का वह हिस्सा है जिसे वह केन्द्रीय बैंक के पास रखता है. इस दर को निर्धारित कर रिजर्व बैंक बाजार में तरलता तय करता है यानी इससे बैंक के पास कर्ज देने की क्षमता में बदलाव होता है.

SBI का पैसा बचाने के लिए गुजरात, राजस्थान समेत 5 राज्यों में बिजली होगी महंगी

आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा का नतीजा 5 दिसंबर को आएगा. इस बार कारोबारी जगत के साथ आम आदमी की नजर भी रिजर्व बैंक के फैसले पर टिकी है. इन नतीजों से साफ होगा कि क्या तीन दिन की कवायद के बाद रिजर्व बैंक और केन्द्र सरकार के रिश्तों में कड़वाहट में कमी आई है या फिर यह नतीजे दोनों के बीच नई खींचतान का आधार तैयार करेंगे.

आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में कुल 6 सदस्य बैठते हैं. इनमें तीन सदस्य आरबीआई के अधिकारी हैं जिनमें रिजर्व बैंक गवर्नर शामिल हैं. वहीं अन्य तीन सदस्य अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ केन्द्र सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं. आरबीआई गवर्नर इस समीक्षा बैठक में प्रमुख किरदार है और तीन दिन की चर्चा के बाद रेपो रेट पर फैसला लेने का काम संख्या बल के आधार पर होता है.

Monday, November 19, 2018

वो चार दीवारें खड़ी करते थे, हम घर बना रहे

छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद अब सभी की निगाहें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार पर लग गई है. 28 नवंबर को राज्य में होने वाले मतदान के लिए सभी पार्टियों ने अपना पूरा दम लगा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राज्य के 2 जिलों में चुनावी रैली कर रहे हैं.

झाबुआ में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने नोटबंदी पर कहा कि इस देश को भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया है. हर कोई काम के लिए पैसा मांगता रहता है, बिना पैसा दिए कोई काम नहीं होता, क्या इस देश को इस बीमारी से बाहर निकालना चाहिए. दीमक लगता है तो सबसे जहरीली दवा डालनी पड़ती है, हिंदुस्तान में कांग्रेस के कालखंड में ऐसा भ्रष्टाचार बढ़ गया कि नोटबंदी जैसी कड़ी दवाई का इस्तेमाल करना पड़ा.

पाई-पाई जमा कराने को मजबूर

उन्होंने कहा कि आज मोदी की ताकत देखिए कि पाई-पाई तक बैंकों में जमा कराने को मजबूर कर दिया. आज देश में जो घर, स्कूल, अस्पताल बन रहे हैं, ये सारे पैसे पहले बिस्तर के नीचे छुपाए हुए थे और जब बाहर निकले तो विकास के काम आ रहे हैं. इससे उनको परेशानी हो रही है. वो चार दीवारें खड़ी करते रहे और हम घर बनाते रहे. हमने बड़ी संख्या में बेघर लोगों को रहने के लिए आवास दिए.

मोदी ने कहा कि कांग्रेस हमारे खिलाफ इसलिए है क्योंकि हमने 50 साल से लूटखसोट की आदत पर रोक लगाई है, इसलिए वो परेशान हैं.

उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि देश में एक भी गरीब ऐसा नहीं हो जिसके पास अपना पक्का घर ना हो। हम ऐसे घर बनाकर दे रहें हैं जिसमें घर में नल भी होगा, नल में जल भी होगा, घर में बिजली भी होगी, शौचालय भी होगा और घर में खाना बनाने के लिए गैस का कनेक्शन भी होगा.

इससे पहले सोमवार को इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सोनिया गांधी ने पीएम मोदी का नाम लिए बिना कहा था कि कुछ लोग काम करते हैं और कुछ लोग श्रेय लेते हैं. सोनिया ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने कभी अपना प्रचार नहीं किया. उन्होंने कभी किसी काम का श्रेय नहीं लिया.

गरीबों के इलाज का खर्च देगी सरकार

आयुष्मान भारत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम आयुष्मान योजना लाए, गरीब जो बीमार है, डॉक्टर के पास जाएगा उसका बड़ा खर्चा हो जाएगा. किडनी खराब है, दिल की बीमारी है उसका इलाज कराने में लाखों रुपए खर्च हो जाएंगे. हम गरीबों के लिए आयुष्मान भारत लेकर आए. अब गरीब भी अच्छे अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे. गरीबों के इलाज और ऑपरेशन का खर्चा सरकार देगी.

मोदी ने कहा कि हमारा मंत्र है बालक-बालिकाओं के लिए पढ़ाई, युवाओं के लिए कमाई, किसानों के लिए सिंचाई और बुजुर्गों के लिए दवाई.

Sunday, November 18, 2018

'बॉर्डर' के असली नायक ब्रिगेडियर कुलदीप चांदपुरी का निधन

भारतीय सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का देहांत हो गया है. ब्रिगेडियर चांदपुरी 78 साल के थे और पारिवारिक सूत्रों के अनुसार मोहाली के फ़ोर्टिस अस्पताल में शनिवार सुबह नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में राजस्थान के लोंगेवाला मोर्चे पर हुई लड़ाई का उन्हें हीरो माना जाता है. भारतीय फ़ौज में शानदार सेवाओं के लिए उन्हें महावीर चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से नवाज़ा गया था.

ब्रिगेडियर चांदपुरी और उनके साथियों की लोंगेवाला मोर्चे पर दिखाई बहादुरी पर बॉलीवुड फ़िल्म 'बॉर्डर' बनाई गई थी. इस फ़िल्म में तत्कालीन मेजर कुलदीप चांदपुरी की भूमिका अभिनेता सनी देओल ने निभाई थी.

इस लड़ाई में चांदपुरी लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे. सीमा पर पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट थी और चांदपुरी की कमांड में सिर्फ़ 120 जवान थे.

उनकी रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट थी जिसमें अधिकतर जवान सिख थे और कुछ डोगरा फ़ौजी भी थे.

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बॉर्डर फ़िल्म के बारे में ब्रिगेडियर चांदपुरी ने कुछ समय पहले एक ख़ास मुलाक़ात के दौरान बीबीसी पंजाबी सेवा के पत्रकार सरबजीत धालीवाल को युद्ध और बॉर्डर फ़िल्म पर अपने विचार ज़ाहिर किए थे.

पढ़ें, कुलदीप चांदपुरी न क्या कहा था
फ़िल्म बॉर्डर में फ़ौज या वायु सेना के बारे में जो भी सीन दिखाए गए हैं. वह सारे सरकार की ओर से क्लियर किए गए थे.

बाकी डांस के सीन वग़ैराह तो न तो असल में वहां लड़ाई में होता है न कभी हुआ है. पर यह फ़िल्म में जो नाच के सीन सबने देखे वह सच नहीं थे.

लड़ाई 1971 को तीन दिसंबर शाम को शुरू हुई थी. उसमें 60 के क़रीब पाकिस्तान के टैंक आए थे जिनके साथ क़रीब तीन हज़ार जवान थे. उन्होंने क़रीब आधी रात को लोंगेवाला पर घेरा डाल दिया था.

मौत से हर कोई डरता है
जहां तक बाक़ी फ़ौज के आने का सवाल था. बाक़ी फ़ौज का सबसे क़रीबी बंदा मेरे से 17-18 किलोमीटर दूर था.

जब हम घिर गए तो मेरी पंजाब रेजिमेंट की कंपनी को एक आदेश था कि लोंगेवाला एक अहम पोस्ट है जिसके लिए आपको आख़िरी बंदे तक लड़ना होगा. हर हालत में उसे कब्ज़े में रखना होगा.

मैं बहुत आभारी हूं अपने जवानों का. उन्होंने बहुत बहादुरी दिखाई. हमने फ़ैसला किया कि हम यहीं लड़ेंगे और लड़कर मारेंगे.

लड़ाई तो जो होनी थी वो हुई पर एक बात ज़रूर बताना चाहूंगा कि मौत से हर बंदा डरता है, बड़े-बड़े योद्धा डरते हैं. मैं भी डरता हूं. बाक़ी सब भी डरते हैं.

ख़ुद लड़कर मरना कोई मुश्किल काम नहीं है पर अपने साथ बाकियों को खड़े करना और कहना कि आप भी मेरे साथ लड़ो और मरो यह बेहद मुश्किल काम है.

Friday, November 16, 2018

टीम में मुझे सबसे ज्यादा न रवि शास्त्री से ही सुनने को मिलती है

कोच रवि शास्त्री की नजर में विराट कोहली की अगुआई वाली टीम इंडिया पिछले 15 साल की सर्वश्रेष्ठ टीम है। हालांकि, कोहली का कहना है कि उन्हें टीम में सबसे ज्यादा न रवि शास्त्री से ही सुनने को मिलती है। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना होने से पहले विराट कोहली और रवि शास्त्री ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। ऑस्ट्रेलिया में भारत तीन टी-20, चार टेस्ट और तीन वनडे की सीरीज खेलेगा।

शास्त्री के मैन मैनेजमेंट का जवाब नहीं
विराट ने बताया, 'सबसे ज्यादा ना मुझे कोच से ही सुनने को मिली है, लेकिन ये निजी चीजें होती हैं। ये टीम के एक अंदरूनी माहौल में होती हैं। टीम में हर किसी को अपनी राय रखने की आजादी है। एक दिन मेरा क्रिकेट खत्म हो जाएगा। रवि भाई भी चले जाएंगे। हम सिर्फ एक दी गई जिम्मेदारी के लिए काम करते हैं। हम दोनों , बल्कि हम सभी का एक ही मकसद है कि क्रिकेट को आगे ले जाएं। 2014 में मेरे इंग्लैंड दौरे और 2015 में शिखर धवन को दबाव से बाहर निकालने में शास्त्री का अहम योगदान रहा है। उनके सुझावों पर मैंने टीम में कई अहम बदलाव किए। मैन मैनेजमेंट के मामले में वे लाजवाब हैं।'

ऑस्ट्रेलिया में बल्लेबाजी पर फोकस
विराट ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में हमारा फोकस बल्लेबाजी पर ज्यादा रहेगा, क्योंकि मौजूदा समय में हमारे गेंदबाज अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। अगर निचले क्रम में ऑलराउंडर रनों से अपना योगदान देने में सफल रहेंगे तो हम किसी भी मैच या सीरीज के नतीजे को बदल सकते हैं। इंग्लैंड में लॉर्ड्स टेस्ट को छोड़ दें तो हमने टुकड़े-टुकड़े में अच्छी बल्लेबाजी की। हां, किसी एक मैच में हमारे बल्लेबाज एक साथ अच्छा नहीं कर पाए।

अब प्रयोग करने का समय नहीं बचा : शास्त्री
शास्त्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज को हम हल्के में नहीं ले सकते, क्योंकि वर्ल्ड कप से पहले यह सीरीज होगी। ऐसे समय में अब हम किसी और खिलाड़ी को चोटिल होते नहीं देख सकते। अब प्रयोग करने का समय बीत चुका है। हमारे पास अब किसी भी खिलाड़ी को हटाने या बदलने का वक्त नहीं है।

इस साल की शुरुआत में ही तय हो गया था कि विराट कोहली की अगुआई में टीम इंडिया को तीन मुश्किल चुनौतियों से जूझना होगा। दक्षिण अफ्रीका दौरा, इंग्लैंड दौरा और ऑस्ट्रेलिया दौरा ये तीन चुनौतियां थीं। टेस्ट क्रिकेट में इन तीनों ही देशों में भारत का रिकॉर्ड अच्छा नहीं था। दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया कभी कोई सीरीज नहीं जीत सकी थी। वहीं, इंग्लैंड में पिछले दो दौरे पर करारी हार मिली थी। इस बार दक्षिण अफ्रीका में भारत ने कड़ा संघर्ष किया लेकिन, 1-2 से हार मिली। इंग्लैंड में पांच मैचों की सीरीज 1-4 से गंवाई। अब बारी है ऑस्ट्रेलिया दौरे की।

ऑस्ट्रेलिया में आठ सीरीज हार चुकी है टीम इंडिया

टीम इंडिया 1947 से ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रही है। तब से अब तक टीम इंडिया 11 बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज खेल चुकी है। इनमें से 8 सीरीज में हमें हार का सामना करना पड़ा। वहीं तीन सीरीज ड्रॉ रही। पिछले लगातार तीन ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज गंवाई है। ऑस्ट्रेलिया में भारत की मुश्किल का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वहां टीम अब तक 44 टेस्ट में सिर्फ पांच ही जीत पाई है। उसे 28 में हार का सामना करना पड़ा है और 11 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।

Tuesday, November 6, 2018

IL&FS को पहला झटका, वापस लिया जा सकता है जोजिला सुरंग का ठेका

सरकार ने कर्ज से बेहाल कंपनी के आईएलएंडएफएस के नए बोर्ड से पूछा है कि इस प्रॉजेक्ट पर कितनी जल्दी काम शुरू हो सकता है? इस परियोजना के लिए सरकार फिर से बोली मंगाने पर विचार कर सकती है

रजत अरोड़ा, नई दिल्ली 
जम्मू-कश्मीर में रणनीतिक अहमियत वाली जोजिला सुरंग का जो ठेका इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशल सर्विसेज (IL&FS) को दिया गया था, उसके लिए फिर से बोली मंगाई जा सकती है। सरकार ने कर्ज से बेहाल IL&FS के नए बोर्ड से पूछा है कि इस प्रॉजेक्ट पर कितनी जल्दी काम शुरू हो सकता है? जोजिला प्रॉजेक्ट के तहत 14.2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जानी है, जो सड़क मार्ग के लिए सबसे लंबी टनल होगी। यह सुरंग 11,578 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनाई जाएगी। IL&FS ने पिछले साल यह ठेका हासिल किया था और इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में कश्मीर यात्रा के दौरान किया था।

तय समय पर काम पूरा न होने का डर
IL&FS के वित्तीय संकट में फंसने के बाद रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री को यह डर सता रहा है कि इस प्रॉजेक्ट का काम शायद तय समय पर पूरा न हो पाए। नैशनल हाइवेज ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन मिनिस्ट्री की तरफ से इस प्रॉजेक्ट को हैंडल कर रहा है। एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिसर ने बताया, 'हमने उनसे (IL&FS) पूछा है कि क्या वे प्रॉजेक्ट को हैंडल करने में सक्षम हैं? सरकार इसमें देरी बर्दाश्त नहीं कर सकती। अगर इसकी आशंका होगी तो हम प्रोजेक्ट के लिए नए सिरे से बोली मंगाएंगे।'

ज्वाइंट मैकेनिज्म बनाने का सुझाव 
अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय IL&FS की मदद करना चाहता है। कंपनी के पास जो नैशनल हाइवेज प्रॉजेक्ट्स हैं, उनके लिए उसने जॉइंट मैकनिजम बनाने का सुझाव दिया है। IL&FS का नया बोर्ड उम्मीद कर रहा है कि पुराने हाइवेज प्रॉजेक्ट्स में हिस्सेदारी बेचने से कंपनी को 20 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। उन्होंने बताया, ‘अगर वे ऑपरेशनल नैशनल हाइवे प्रॉजेक्ट्स को बेचना चाहते हैं, तो हम उसके लिए तुरंत मंजूरी देंगे। हम आर्बिट्रेशन केस को भी जल्द-से-जल्द सुलझाना चाहते हैं।’ 

IL&FS के पास 17 NH प्रॉजेक्ट
IL&FS और उसकी सब्सिडियरीज के पास 17 नैशनल हाइवे प्रॉजेक्ट्स हैं। इनमें से चार निर्माणाधीन हैं। इन प्रॉजेक्ट्स की लागत कम-से-कम 15 हजार करोड़ रुपये होगी। जोजिला सुरंग बनाने का ऐलान पहली बार यूपीए 2 सरकार के कार्यकाल में हुआ था। उसके बाद आई एनडीए सरकार ने 2016 में इस प्रॉजेक्ट को आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिया था, लेकिन इस टेंडर को बाद में कैंसल कर दिया गया। उसके बाद सरकार ने प्रॉजेक्ट को इंजिनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन मॉडल पर बनवाने का निर्णय लिया, जिसके लिए IL&FS की सब्सिडियरी ने बोली जीती। 

Sunday, November 4, 2018

'आसिया बीबी! पाकिस्तान को एक और दरिया पार करना है'

कोई राष्ट्र हवा में नहीं बनता बल्कि एक संविधान, इस संविधान से पैदा होने वाली सरकार और इस संविधान को लागू करने वाली अदालत के एक साथ जुड़ाव का नाम ही राष्ट्र है.

अगर संविधान और उसको मानने वाले तो हों मगर लागू करने वाले न हों तो ऐसा संविधान रद्दी से भी सस्ता और ऐसा राष्ट्र पीतल के भाव है.

इस वक़्त पाकिस्तानी राष्ट्र के सामने फिर इस सवाल का सामना करना है कि क्या रियासत में इतनी ताक़त है कि अपने बल पर अपने एक-एक नागरिक की रक्षा कर सके?

हो सकता है आप लोग कहें, भला ये क्या बात हुई? ज़ाहिर है हर देश में इतनी क्षमता होती है तभी तो वो एक अलग और स्वतंत्र राष्ट्र कहलाता है.

मगर हम पाकिस्तानियों के लिए ये सवाल वाक़ई अहम है क्योंकि हमने पिछले कई वर्ष इसमें गवां दिए कि तालिबानी हमारे ही भटके भाई हैं जिन्हें प्यार और दलील से ये समझाया जा सकता है कि जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद नहीं करते.

तालिबानी'राक्षस'

हम इंतज़ार करते रहे कि तालिबान समझ जाएगा. इस इंतज़ार में हमने हज़ारों पाकिस्तानी चरमपंथ के राक्षस की भेंट कर दिए ताकि वो ख़ुश होकर बाकियों को बख़्श दे और कछार में वापस चला जाए.

मगर ऐसा कब होता है? चुनांचे जिस राक्षस को राष्ट्र ने अपने से भी बड़ा दिखने की इजाज़त और सहूलियत दी, आख़िर में उसी से गुत्थमगुत्था होकर बाद में ख़ून में लथपथ होने के बाद पछाड़ना पड़ा.

आग और ख़ून के दरिया से गुज़रने के बाद हमें सीख जाना चाहिए था कि अब हम ऐसे किसी संगठन को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो हमारे बर्दाश्त के दूध पर पल-पलकर एक और राक्षस बन जाए.

एक क्रिश्चियन औरत आसिया बीबी को उच्च न्यायलय की तरफ़ से इस आरोप से मुक्ति मिलने के बाद कि 'आसिया ने पैगम्बर-ए-इस्लाम की निंदा नहीं की बल्कि उसे इससे जुड़े इल्ज़ाम में फंसाया गया.'

हममें से बहुतों के सिर फ़ख्र से ऊंचे हो गए कि पाकिस्तान में भी एक आम नागरिक को, भले उसका धर्म कोई भी हो, इंसाफ़ मिल सकता है.

इस फ़ैसले के विरोधियों ने जिस तरह फ़ौज और जजों को धमकियां दीं और एलान-ए-बग़ावत करके आम लोगों को तोड़-फोड़ करने के लिए उकसाया, उसके बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की दो टूक चेतावनी से बहुत हौसला मिला कि राष्ट्र को चैलेंज करने वालों से सख़्ती से निबटा जाएगा.

मगर सिर्फ़ तीन दिन बाद ही सरकार ने यू-टर्न लेकर फ़ैसले के विरोधियों से उसी तरह समझौता कर लिया जैसा तालिबान से किया जाता रहा और आख़िर में उन्हें सींगों से पकड़ना पड़ा.

अब एक तरफ़ पाकिस्तान का उच्च न्यायालय अकेला खड़ा है और दूसरी ओर सरकार सिर झुकाए जाने किस सोच में है... और दरम्यान में आसिया बीबी को बरी करने के विरोधी टांगें चौड़ी करके चल रहे हैं.

लगता है इस देश की क़िस्मत में एक और लंबी, ठंडी रात लिख दी गई है.

इक और दरिया का सामना था 'मुनीर' मुझको

मैं एक दरिया के पार उतरा तो मैंने देखा

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