Sunday, November 18, 2018

'बॉर्डर' के असली नायक ब्रिगेडियर कुलदीप चांदपुरी का निधन

भारतीय सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का देहांत हो गया है. ब्रिगेडियर चांदपुरी 78 साल के थे और पारिवारिक सूत्रों के अनुसार मोहाली के फ़ोर्टिस अस्पताल में शनिवार सुबह नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में राजस्थान के लोंगेवाला मोर्चे पर हुई लड़ाई का उन्हें हीरो माना जाता है. भारतीय फ़ौज में शानदार सेवाओं के लिए उन्हें महावीर चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से नवाज़ा गया था.

ब्रिगेडियर चांदपुरी और उनके साथियों की लोंगेवाला मोर्चे पर दिखाई बहादुरी पर बॉलीवुड फ़िल्म 'बॉर्डर' बनाई गई थी. इस फ़िल्म में तत्कालीन मेजर कुलदीप चांदपुरी की भूमिका अभिनेता सनी देओल ने निभाई थी.

इस लड़ाई में चांदपुरी लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे. सीमा पर पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट थी और चांदपुरी की कमांड में सिर्फ़ 120 जवान थे.

उनकी रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट थी जिसमें अधिकतर जवान सिख थे और कुछ डोगरा फ़ौजी भी थे.

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बॉर्डर फ़िल्म के बारे में ब्रिगेडियर चांदपुरी ने कुछ समय पहले एक ख़ास मुलाक़ात के दौरान बीबीसी पंजाबी सेवा के पत्रकार सरबजीत धालीवाल को युद्ध और बॉर्डर फ़िल्म पर अपने विचार ज़ाहिर किए थे.

पढ़ें, कुलदीप चांदपुरी न क्या कहा था
फ़िल्म बॉर्डर में फ़ौज या वायु सेना के बारे में जो भी सीन दिखाए गए हैं. वह सारे सरकार की ओर से क्लियर किए गए थे.

बाकी डांस के सीन वग़ैराह तो न तो असल में वहां लड़ाई में होता है न कभी हुआ है. पर यह फ़िल्म में जो नाच के सीन सबने देखे वह सच नहीं थे.

लड़ाई 1971 को तीन दिसंबर शाम को शुरू हुई थी. उसमें 60 के क़रीब पाकिस्तान के टैंक आए थे जिनके साथ क़रीब तीन हज़ार जवान थे. उन्होंने क़रीब आधी रात को लोंगेवाला पर घेरा डाल दिया था.

मौत से हर कोई डरता है
जहां तक बाक़ी फ़ौज के आने का सवाल था. बाक़ी फ़ौज का सबसे क़रीबी बंदा मेरे से 17-18 किलोमीटर दूर था.

जब हम घिर गए तो मेरी पंजाब रेजिमेंट की कंपनी को एक आदेश था कि लोंगेवाला एक अहम पोस्ट है जिसके लिए आपको आख़िरी बंदे तक लड़ना होगा. हर हालत में उसे कब्ज़े में रखना होगा.

मैं बहुत आभारी हूं अपने जवानों का. उन्होंने बहुत बहादुरी दिखाई. हमने फ़ैसला किया कि हम यहीं लड़ेंगे और लड़कर मारेंगे.

लड़ाई तो जो होनी थी वो हुई पर एक बात ज़रूर बताना चाहूंगा कि मौत से हर बंदा डरता है, बड़े-बड़े योद्धा डरते हैं. मैं भी डरता हूं. बाक़ी सब भी डरते हैं.

ख़ुद लड़कर मरना कोई मुश्किल काम नहीं है पर अपने साथ बाकियों को खड़े करना और कहना कि आप भी मेरे साथ लड़ो और मरो यह बेहद मुश्किल काम है.

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